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अपनी भाषा के प्रति श्रद्धा जरूरी

आयोजन . कुड़ुख लिटररी सोसाइटी का समाराेह शुरू, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कुड़ुख लिटररी सोसाइटी ऑफ इंिडया का दशक समारोह शनिवार को आर्यभट्ट सभागार में शुरू हुआ. कार्यक्रम के पहले दिन कई विद्वानों ने विचार रखे. रांची : कुड़ुख भाषा-संस्कृति वालों के लिए अपनी भाषा के प्रति श्रद्धा जरूरी है़ अपनी भावी पीढ़ी को इसे […]

आयोजन . कुड़ुख लिटररी सोसाइटी का समाराेह शुरू, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा
कुड़ुख लिटररी सोसाइटी ऑफ इंिडया का दशक समारोह शनिवार को आर्यभट्ट सभागार में शुरू हुआ. कार्यक्रम के पहले दिन कई विद्वानों ने विचार रखे.
रांची : कुड़ुख भाषा-संस्कृति वालों के लिए अपनी भाषा के प्रति श्रद्धा जरूरी है़ अपनी भावी पीढ़ी को इसे धरोहर के रूप में सौंपने के लिए संस्थागत तरीके से विचार करने की आवश्यकता है़ उक्त बातें विधानसभा अध्यक्ष अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कही. वे शनिवार को आर्यभट्ट सभागार में कुड़ुख लिटररी सोसाइटी ऑफ इंडिया के दशक समरोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे़
श्री उरांव ने कहा कि कुड़ुख को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की चिंता पूरे समाज की है़ वह इसके लिए अपने स्तर से पूरा प्रयास करेंगे़ जेपीएससी में जन जातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को समाहित करने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे है़ं पहली बार तोलोंग सिकि लिपि में मैट्रिक की परीक्षा लिखने की अनुमति मिली है़ इस लिपि के प्रति विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए वह इस साल एेसे विद्यार्थियों में अव्वल आनेवाले को 31,000 रुपये देकर पुरस्कृत करेंगे़ अनुसूचित जन जातीय आयोग के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि गांव-देहात में ही कुड़ुख को बचा कर रखा गया है़ पढ़े- लिखे लोग सिर्फ हिंदी-अंगरेजी में बात करते है़ं भाषा तभी बचेगी, जब इसमें साहित्य का सृजन होगा़
पद्मश्री पड़हा राजा सिमोन उरांव ने कहा कि हमारे पुरखों ने भाषा, रीति-रिवाज सबको सहेज कर रखा, पर हम इन्हें छोड़ते जा रहे है़ं रांची विवि में सोशल साइंसेज के डीन डॉ करमा उरांव ने कहा कि कुड़ुख भाषियों का लेखन व साहित्य सृजन मजबूत होगा, तो भाषा भी सशक्त होगी़ इससे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ ऊषा रानी मिंज ने प्रतिभागियों का स्वागत किया़ इस दौरान दशक समारोह की स्मारिका ‘दोयता चान जतरा’, महेश भगत की ‘कुड़ुख भाषा, साहित्य और व्याकरण’ व ‘कुड़ुख भाषा का उदभव और विकास’, डॉ नारायण उरांव की ‘कुड़ुख भाषा की पारिभाषिक शब्दावली योजना’, नेपाल से आये बेचन उरांव के संकलन ‘कुड़ुख उरांव’ और बंदे खलखो की ‘पड़हा पत्रिका’ (कार्तिक उरांव विशेषांक) का लोकार्पण किया गया़
वर्धा विवि महाराष्ट्र में कुड़ुख-हिंदी के शब्दों का तुलनात्मक अध्ययन पर शोध करनेवाली गोल्ड मेडलिस्ट दीप्ति एक्का को भी सम्मानित किया गया़ कुड़ख को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने व स्कूलों में इसकी पढ़ायी प्राथमिक स्तर से शुरू करने की मांग को लेकर 22 मई को जिला स्कूल मैदान से आर्यभट्ट सभागार तक जुलूस निकाला जायेगा. कार्यक्रम में प्रो हरि उरांव, नाबोर एक्का, डॉ एचएन सिंह, भुवनेश्वर अनुज, अथनास टोप्पो,जाॅन मिंज, नाबोर एक्का, बेचन उरांव, प्रो महेश भगत, शशि विनय भगत, गोरख नाथ तिर्की, अशोक बखला आदि मौजूद थे.

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