नयी दिल्ली/न्यूयार्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा से पहले अमेरिका में एक ऐडवोकेसी समूह ने कहा है कि मोदी को ईरान पर दबाव बनाने के अपने प्रयास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि वह ‘‘अस्थिरता पैदा करने और उकसावे वाली’ अपनी प्रवृत्ति पर लगाम लगाए. समूह ने दावा किया कि ईरान को लुभावने कारोबारी मौकों से पुरस्कृत नहीं करना चाहिए, क्योंकि भारतीय कंपनियों के लिए वहां कारोबार करने में ‘‘अनेक जोखिम’ हैं.
अमेरिका में सबसे प्रभावशाली ईरान विरोधी ऐडवोकेसी समूह ‘यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान’ :यूएएनआई: ने कहा कि ईरान की ‘‘गैरजिम्मेदाराना और लडाकू प्रवृत्ति’ आतंकवाद एवं भ्रष्टाचार से निपटने में मोदी की ‘‘शक्तिशाली एवं सामयिक संकल्प’ के प्रतिकूल है. यूएएनआई के अध्यक्ष सीनेटर जोसेफ लिबरमैन और यूएएनआई के सीईओ राजदूत मार्क वैलेस ने 22-23 मई को मोदी की ईरान यात्रा से पहले एक बयान जारी करके कहा, ‘‘मोदी के पास यह एक विशेष मौका है जिसमें वह ईरान की अस्थिरता पैदा करने और उकसावे वाली प्रवृत्ति पर रोक लगाने के अपने प्रयास पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी के निमंत्रण पर मोदी की यह यात्रा सामरिक रुप से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत प्रतिबंध-मुक्त उर्जा सम्पन्न राष्ट्र के साथ अपने संबंध बढाने की दिशा में आशान्वित है. यात्रा के दौरान मोदी वहां ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेइ से भी मुलाकात करेंगे.