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बिना फार्मासिस्ट की 2000 दवा दुकानें

अनदेखी. शहर में विभागीय नियमों व आदेशों की उड़ायी जा रहीं धज्जियां पूर्वी चंपारण जिले में इन दिनों बगैर फार्मासिस्ट की दवा दुकानें बेरोक-टोक चल रही हैं. विभागीय आंकड़ाें के अनुसार, जिले में कुल 2172 दवा की दुकानें निबंधित हैं, जिनमें बगैर फार्मासिस्ट के दो हजार दुकानें शामिल हैं. एक तरफ स्वास्थ्य विभाग मरीजों के […]

अनदेखी. शहर में विभागीय नियमों व आदेशों की उड़ायी जा रहीं धज्जियां

पूर्वी चंपारण जिले में इन दिनों बगैर फार्मासिस्ट की दवा दुकानें बेरोक-टोक चल रही हैं. विभागीय आंकड़ाें के अनुसार, जिले में कुल 2172 दवा की दुकानें निबंधित हैं, जिनमें बगैर फार्मासिस्ट के दो हजार दुकानें शामिल हैं. एक तरफ स्वास्थ्य विभाग मरीजों के हित की बात करता है और दूसरे तरफ बगैर फार्मासिस्ट की दुकानें चलवा रहा है जो काफी गंभीर विषय है.
मोतिहारी : बिना फार्मासिस्ट के जिले में दो हजार दवा दुकानें चल रही हैं. मात्र 175 फार्मासिस्ट 2175 दुकानें चलाते हैं. शहर से लेकर गांव तक बेरोक-टोक दुकानें चल रही हैं. एक तरफ पूर्वी चंपारण का स्वास्थ्य विभाग मरीजों के हित की बात करता है और गुणवत्तापूर्ण दवा मुहैया कराने का दावा करता है. जबकि बगैर फार्मासिस्ट के चल रही दवा दुकानें सभी दावों को पोल खोल रही है.
जानकार बताते हैं कि जिल में कुल 2172 दवा दुकानें निबंधित हैं, जिसमें मात्र 175 के पास ही फार्मासिस्ट है. शहर से लेकर गांव तक की स्थिति एक जैसी है और विभागीय आदेश की धज्जियां उड़ायी जाती है. इसकी शिकायतें विभाग को मिलती है, लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है.
दुकान के लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी: जब दवा दुकान के लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी है तो फिर दो हजार दुकानें बिना फार्मासिस्ट के कैसे चल रही है. जानकार बताते हैं कि एक फार्मासिस्ट एक ही दवा दुकान के लिए मान्य है. जबकि यहां इसका ठीक उल्टा हुआ है. एक फार्मासिस्ट द्वारा कई दुकानों को आथोरिटी दी गयी है.
क्या है दवा दुकान के निबंधन का नियम : जानकार बताते हैं कि खुदरा दवा दुकान के लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी है. यदि चार साल के अनुभव वाला व्यक्ति लाइसेंस लेता हैं तो उन्हें विभाग बिना फार्मासिस्ट के ही अनुज्ञप्ति दे देता है.
175 फार्मासिस्ट चलाते हैं 2175 दवा दुकानें
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रत्येक माह दवा दुकानों की जांच होती है. गलत पाये जाने पर कार्रवाई की जाती है.
केके शर्मा, अनुज्ञापन पदाधिकारी
कहते हैं दवा व्यवसायी
यह नियम ड्रग एवं कास्टमेटिक एक्ट का है. पूर्व में दवा पर ब्रांड एवं कंपोजिसन नहीं लिखा रहता था. अब दवा पर ब्रांड कंपोजिशन लिखकर आता है. चिकित्सक भी दवा कंपोजिशन के अनुरूप ही लिखते हैं.
चंद्रकिशोर मिश्रा, अध्यक्ष, दवा व्यवसायी संघ

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