गोपालगंज : हवलदार मियां की हत्या के बाद फरार आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हाइवे जाम करना परिजनों को महंगा पड़ा. पुलिस ने नेशनल हाइवे जाम करने के मामले में मृतक हवलदार के परिजनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है. नगर थाने में पदस्थापित दारोगा अमित कुमार के बयान पर शौकत अली समेत पांच नामजद और सौ अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
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हाइवे जाम करने पर परिजनों पर प्राथमिकी
गोपालगंज : हवलदार मियां की हत्या के बाद फरार आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हाइवे जाम करना परिजनों को महंगा पड़ा. पुलिस ने नेशनल हाइवे जाम करने के मामले में मृतक हवलदार के परिजनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है. नगर थाने में पदस्थापित दारोगा अमित कुमार के बयान पर शौकत अली समेत […]
यहां पोस्टमार्टम करने से कतराते हैं डॉक्टर
सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराना आसान बात नहीं है. हत्या, आत्महत्या, सड़क हादसा जैसी घटनाओं को झेल रहे लोगों को पोस्टमार्टम कराने के लिए मानसिक यातना का सामना करना पड़ रहा है. यहां के डॉक्टर पोस्टमार्टम करने से कतराते हैं.
गोपालगंज : यहां पोस्टमार्टम करने से धरती के भगवान डर रहे हैं. पोस्टमार्टम के लिए जिस डॉक्टर को नामित किया जाता है, वे कतराने लगते हैं. पहले वे अपने निजी क्लिनिक का काम खत्म करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए पहुंचते हैं. तब तक पोस्टमार्टम के इंतजार में लोगों यातना का सामना करना पड़ता है. कई बार तो तीन-तीन घंटे इंतजार के बाद डॉक्टर के आगे गिड़गिड़ाने पर पोस्टमार्टम हो पा रहा है. यहां तक कि अस्पताल के अधिकारियों के भी डॉक्टर नहीं सुनते हैं. सिविल सर्जन की पहल पर भी डॉक्टर कतराते हैं.
इमरजेंसी में होता है पोस्टमार्टम
सदर अस्पताल के इमरजेंसी में भी पोस्टमार्टम किया जा रहा है. अगर किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मामला हो, तो इमरजेंसी वार्ड में पोस्टमार्टम कर दिया जाता है या रात में किसी मौत पर बवाल होने की अंदेशा पर इमरजेंसी के वार्ड में भी डीएम से परमिशन लेकर पोस्टमार्टम कर दिया जाता है. इमरजेंसी में पोस्टमार्टम होने से यहां भरती मरीजों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. कई मरीजों में संक्रमण का भी खतरा बना रहता है.
इमरजेंसी में तीन-तीन दिनों तक शव को छोड़ दिया जाता है. बदबू से डॉक्टर से लेकर मरीज तक परेशान रहते हैं. पोस्टमार्टम हाउस बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को जमीन नहीं मिल रही है. पिछले वर्ष पोस्टमार्टम हाउस बनने के लिए 65 लाख रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ, लेकिन जमीन के अभाव में मामला खटाई में पड़ा है. सिविल सर्जन डॉ मधेश्वर प्रसाद शर्मा की मानें, तो अभी जहां पोस्टमार्टम हाउस है, वहां बनाने पर विवाद हो सकता है, जिसके कारण लाचारी में इमरजेंसी में पोस्टमार्टम करना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं सीएस
पोस्टमार्टम करने में एकाद डॉक्टर कतराते हैं. बाकी डॉक्टर पोस्टमार्टम में पीछे नहीं हटते. कहीं कोई पोस्टमार्टम में परेशानी होती है, तो मैं खुद हैंडिल कर उसे निबटाता हूं.
डॉ मधेश्वर प्रसाद, सीएस, गोपालगंज
सीएस की पहल पर घंटों बाद पहुंचे डॉक्टर : केस – 1
हथुआ के डिगही बैरिस्टर गांव के निवासी रामजी राय के पुत्र नीरज राय शिक्षक ने पारिवारिक कलह में मंगलवार को आत्महत्या कर ली. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी. डॉ एसके गुप्ता को पोस्टमार्टम करना था. पोस्टमार्टम के लिए दिन के एक बजे से शाम पांच बजे तक इंतजार करना पड़ा. सिविल सर्जन से भी परिजनों ने बात की. सीएस की पहल के बाद डॉक्टर साहब शाम में पहुंचे और किसी तरह पोस्टमार्टम हुआ.
हवलदार मियां के पोस्टमार्टम में भी घंटों इंतजार : केस – 2
नगर के आरार में हवलदार मियां की गोली मार कर हत्या की गयी थी. रात के एक बजे की घटना थी. सुबह सात बजे से पोस्टमार्टम के लिए लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गये. पोस्टमार्टम के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. डॉक्टर के साथ आरजू-मिन्नत करने के बाद पोस्टमार्टम दोपहर में हो सका.
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