पटना : केंद्रीय खाद्य एवं जनवितरण मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि केंद्र सरकार राज्य को बिना दली अरहर दाल 60 रुपये प्रति किलोग्राम और उरद दाल 82 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराने को तैयार है तथा अगर 120 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक की दर पर दाल बेची जाती है तो उसके लिए राज्य सरकार उत्तरदायी होगी.
दाल को लेकर नीतीश को पत्र
पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में खाद्य सुरक्षा एवं उपभोक्ता सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदम पर अपने मंत्रालय की आयोजित एक संगोष्ठी सह प्रदर्शनी के अवसर पर रामविलास ने कहा कि बिना दली दाल को इस दर पर खरीदकर उसके दलने पर कुछ राशि खर्च कर राज्य लोगों को उपलब्ध कराये पर उसकी कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए और ऐसा होने पर इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी. उन्होंने अपने गृह प्रदेश बिहार के इस कीमत पर दाल नहीं खरीदने पर दुख जताते हुए इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र का जिक्र किया और कहा कि दाम की कीमत नहीं बढे इसके लिए उनके मंत्रालय द्वारा इसका बफर स्टाक बनाया गया है.
जमाखोरी से बढ़ी दाल की कीमत
उन्होंने कहा कि 55 हजार टन दाल की खरीद की जा चुकी है और 26 हजार टन दाल आयातित की जारी है जिसमें दस हजार टन पहुंच चुका है. रामविलास ने कहा कि एक लाख टन और दाल किसानों से खरीद की जारी है और इसके अलावा 59 टन और दाल आयातित की जायेगी. उन्होंने जमाखोरी को दाल की कीमत में वृद्धि का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र में 87,000 टन और कर्नाटक में 23,000 टन अवैध रूप से भंडारित दाल जब्त किये गये पर बिहार में इसकी बरामदगी के लिए छापेमारी नहीं की गयी. केंद्र की राजग सरकार की कार्यशैली की तारीफ करते हुए रामविलास पासवान ने कहा कि 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभुकों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेंहू और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है.
बिहार सरकार नहीं कर रही खर्च
उन्होंने कहा कि नागालैंड अगले जुलाई में तथा तमिलनाडु और केरल राज्य विधानसभा चुनाव के बाद इस योजना में शामिल रहे. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी की उपस्थिति में पासवान ने कहा कि केंद्र गेंहू 23.47 रुपये प्रति किलोग्राम तथा चावल 29.67 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्राप्त कर को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेंहू और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल उपलब्ध करा रही है. लेकिन नीतीश कुमार सरकार इस पर कुछ भी नहीं खर्च कर रही है और नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद देने के बजाय स्वयं इस दर पर लाभुकों को उपलब्ध कराने का दावा करती है जो कि यही दर्शाता है कि ‘माल महाराज का मिर्जा खेले होली’.
खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार
उन्होंने बिहार सरकार पर समय पर खाद्यान्न नहीं उठाने और इसके वितरण में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां 17-18 राज्यों ने जनवितरण प्रणाली को आधार कार्ड से जोड दिया है, पर बिहार में यह मात्र 0.0006 प्रतिशत हो पाया है. इस अवसर पर खाद्य एवं उपभोक्ता मामले की सचिव ब्रिंदा स्वरुप ने बताया कि वर्तमान में केंद्र में 516 लाख टन का खाद्यान्न का स्टाक है और पूर्वोत्तर राज्यों में बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और असम ने इस साल 61 लाख टन चावल दिया है.