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मुखर्जी की यात्रा: भारत के साथ परस्पर विश्वास बढाना चाहता है चीन

बीजिंग : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 24 से 27 मई तक चीन की यात्रा पर आने की घोषणा के साथ चीन ने आज कहा कि वह भारत के साथ परस्पर विश्वास बढाना चाहता है तथा द्विपक्षीय सहयोग की भागीदारी को आगे ले जाना चाहता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, ‘राष्ट्रपति […]

बीजिंग : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 24 से 27 मई तक चीन की यात्रा पर आने की घोषणा के साथ चीन ने आज कहा कि वह भारत के साथ परस्पर विश्वास बढाना चाहता है तथा द्विपक्षीय सहयोग की भागीदारी को आगे ले जाना चाहता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, ‘राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का चीन का यह पहला दौरा होगा. यह इस साल भारत और चीन के बीच सबसे उच्च स्तर का एक संपर्क भी है.’ उन्होंने कहा, ‘चीन और भारत बडे उभरते देश हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बडी भूमिका निभाते हैं. उन्होंने विश्व में शांति एवं स्थिरता के लिए बडा योगदान दिया है.’

होंग ने कहा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के 2014 के भारत दौरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल की भारत यात्रा से चीन-भारत संबंधों में ‘नये युग’ की शुरुआत हुई. उन्होंने कहा, ‘हम भारत के साथ परस्पर विश्वास और परस्पर रूप से लाभकारी सहयोग को बढाने के इच्छुक हैं ताकि चीन भारत के बीच सहयोगात्मक साझेदारी को आगे बढाया जा सके.’ चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले छह वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की चीन की यह पहली यात्रा होगी.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि मुखर्जी अपने चीनी समकक्ष राष्ट्रपति शी चिनफिंग के आमंत्रण पर चीन आ रहे हैं. इससे पहले वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल चीन गई थीं. मुखर्जी 24 मई को औद्योगिक चीनी शहर ग्वांगझू पहुंचेंगे. इस शहर के भारत के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध हैं. मुखर्जी 3000 से अधिक भारतीय कारोबारियों समेत भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करने के अलावा भारत-चीन व्यापारिक मंच को भी संबोधित करेंगे, जिसमें वह भारत में निवेश अवसरों पर प्रकाश डालेंगे.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस समारोह में प्रांत के शीर्ष चीनी अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है. इस समारोह में कई भारतीय एवं चीनी कारोबारियों के भी भाग लेने की उम्मीद है. मुखर्जी 25 मई को बीजिंग पहुंचेंगे और ‘द चाइनीज पीपल्स फ्रेंडशिप एसोसिएशन फॉर फोरेन कंटरीज’ (सीपीएएफएफसी) द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में शामिल होंगे. इसके बाद मुखर्जी 26 मई को पीकिंग विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित करेंगे और फिर शी से वार्ता करेंगे.

वह 27 मई को स्वदेश वापसी से पहले चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग और कई अन्य चीनी नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. मुखर्जी की यात्रा ऐसे समय में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं के सिलसिले की शुरुआत करेगी जब संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को प्रतिबंधित घोषित कराने की भारत की कोशिश में बाधा उत्पन्न करने के चीन के प्रयासों जैसे मतभेदों के बावजूद दोनों देश द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना चाहते हैं.

इससे पहले वर्ष 2014 में शी ने भारत की यात्रा की थी. राष्ट्रपति मुखर्जी की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष चार और पांच सितंबर को जी20 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी शहर हांगझोउ जाएंगे. शी के इस वर्ष 15-16 अक्तूबर को गोवा में आयोजित होने वाले ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत जाने की उम्मीद है. मोदी ने पिछले वर्ष चीन की महत्वपूर्ण यात्रा की थी.

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