पिछली बार मैंने जेइइ एडवासं परीक्षा दी थी, जिसमें मुझे ऑल इंडिया रैंक 148 मिला. अभी मैं मुंबई आइआइटी में पढ़ रहा हूं. छुट्टी में अपने घर आया, तो लगा कि अपने अनुभव उन साथियों से बांटे, जो परीक्षा देने जा रहे हैं. मैं अभी डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियंिरग, आइआइटी बॉम्बे में हूं. मेरा मानना है कि यह परीक्षा न सिर्फ परीक्षार्थी की विज्ञान में बौद्धिक पकड़ को कसौटी में कसती है. विपरीत परिस्थिति में उसकी मानसिक एकाग्रता का भी पूरा-पूरा इम्तिहान लेती है. जेइइ एडवांस में पूछे जाने वाले सवाल अक्सर पहली नजर में परीक्षार्थियों को नर्वस करने वाले होते हैं.
यही पर बड़ी संख्या में परीक्षार्थी आपा खो देते हैं. नतीजन धीरे-धीरे समय निकल जाता है. इससे दो सालों की मेहनत बेकार चली जाती है. पिछले वर्ष मुझे भी इन पलों से गुजरना पड़ा था. मैं तैयारी के लिए मुंबई में था. परीक्षा का मेरा केंद्र भी मुंबई में था. एक तरफ मुंबई में गरमी, वही बेहद तनाव के कारण मेरी नींद और भूख दोनों खत्म हो गयी थी, लेकिन मैं सौभाग्यशाली था कि मुझे सही समय पर सही सलाह मिली.मैंने पढ़ाई के घंटों को एकदम कम किया. सुबह शाम दस मिनट टहलना. अखबारों में खेल जगत की खबरें पढ़ना. टेलीविजन पर थोड़ी-बहुत कॉमेडी शो देखना शुरू किया. नतीजन परीक्षा से पहले मैं काफी हद तक तनाव के घेरे से बाहर आ पाया. परीक्षा से पहले के ये आखिरी तीन-चार दिन बेहद महत्वपूर्ण है. इसमें कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है.