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ममता की पकड़ की परीक्षा है बंगाल विस चुनाव

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास का अब तक का संभवत: सबसे लंबा विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही अब सबकी नजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भविष्य पर टिक गयी है. 19 मई को परिणाम सामने आने के साथ ही यह तय हो जायेगा कि ममता ‘दीदी’ की पार्टी की बंगाल पर पकड़ बनी […]

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास का अब तक का संभवत: सबसे लंबा विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही अब सबकी नजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भविष्य पर टिक गयी है. 19 मई को परिणाम सामने आने के साथ ही यह तय हो जायेगा कि ममता ‘दीदी’ की पार्टी की बंगाल पर पकड़ बनी हुई है या वाममोरचा और कांग्रेस के बीच गंठबंधन की रणनीति सफल रही और यह ‘परिवर्तन’ की बयार लाने में कामयाब हुई. पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव छह चरणों में संपन्न हुआ है. कांग्रेस और वाम दलों में तालमेल होने के बाद तृणमूल के समक्ष एक मजबूत गंठबंधन की चुनौती है.
राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव इस मायने में खास है कि भारतीय जनता पार्टी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है और इसलिए सियासी लड़ाई और दिलचस्प हो गयी है. पश्चिम बंगाल सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है और उसने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, गंठबंधन के तहत वाममोरचा मोटे तौर पर 200 सीटों पर और कांग्रेस करीब 80 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. चुनाव में पहली बार ऐसे 9776 मतदाताओं को अपने मताधिकार के प्रयोग का हक मिला, जो भारत और बांग्लादेश के बीच क्षेत्र की अदला-बदली के बाद भारत के नागरिक बने.

राज्य में चुनाव प्रचार की कमान तृणमूल कांग्रेस की ओर से जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संभाली, वहीं कांग्रेस की ओर से स्थानीय नेताओं के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने और वाममोरचा से बुद्धदेव भट्टाचार्य, विमान बसु, सीताराम येचुरी समेत कई दिग्गजों ने प्रचार किया. भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने प्रचार किया.

पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों के लिए गुरुवार सुबह आठ बजे से 90 स्थानों पर मतों की गणना शुरू हो जायेगी. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक गणना प्रेक्षक को नियुक्त किया गया है. इलेक्ट्राॅनिक काॅरपोरेशन आॅफ इंडिया (इसीआइएल) के इंजीनियर भी गणना केंद्रों पर उपस्थित रहेंगे, ताकि किसी तरह की तकनीकी दिक्कत होेने पर वे तुरंत उसे ठीक कर सकें. केंद्रीय सुरक्षा बलों की 78 कंपनियां मतदान मशीनों की सुरक्षा में तैनात की गयी हैं.
तृणमूल कांग्रेस को सारधा घोटाले और अपने कुछ नेताओं के कथित नारदा स्टिंग जैसे मुद्दे से रूबरू होना पड़ा. तृणमूल के प्रतिद्वंद्वी दलों ने इसे प्रचार का मुद्दा बनाया. कोलकाता शहर में बीचों-बीच एक फ्लाईओवर का गिर जाना भी चुनावी मुद्दा रहा. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण, बिजली की अच्छी उपलब्धता, छात्राओं को साइकिल और दो रुपये में एक किलो चावल जैसे कार्यक्रम को पेश किया. वाममोरचा-कांग्रेस ने तालमेल करके सत्तारूढ़ तृणमूल के सामने चुनौती पेश की और अनेक मुद्दों पर ममता बनर्ती की पार्टी को घेरा. पश्चिम बंगाल की मौजूदा विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास 184 सीटें हैं. कांग्रेस 42 विधायकों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पास 40 विधायक हैं. राज्य में पहले चरण के मतदान के कुछ क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने के कारण इस चरण में मतदान दो हिस्सों में हुए.
पश्चिम बंगाल में 294 सीटों पर हुए मतदान का आंकड़ा
तारीख सीट मतदान (प्रतिशत)
04.04.2016 18 80.0
11.04.2016 31 79.56
17.04.2016 56 79.90
21.04.2016 62 79.22
25.04.2016 49 78.05
30.04.2015 53 78.25
05.05.2016 25 86.75

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