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शहर में जलजमाव का खतरा

दिक्कत. लुप्त हो रही पुरानी जीटी रोड के किनारे की चाट की भूमि शहर से निकल रही पुरानी जीटी रोड के किनारे की भूमि जिसे चाट के रूप में जाना जाता है, उसका अतिक्रमण कर लिया गया है़ इसके कारण परेशानी बढ़ती जा रही है़ पिछले वर्ष बरसात में जलजमाव का पानी निकालने के लिए […]

दिक्कत. लुप्त हो रही पुरानी जीटी रोड के किनारे की चाट की भूमि
शहर से निकल रही पुरानी जीटी रोड के किनारे की भूमि जिसे चाट के रूप में जाना जाता है, उसका अतिक्रमण कर लिया गया है़ इसके कारण परेशानी बढ़ती जा रही है़ पिछले वर्ष बरसात में जलजमाव का पानी निकालने के लिए चाट काटने के दौरान मारपीट की नौबत आ गयी थी़ इस बार फिर पिछली बार जैसी ही हालात है़ प्रशासन को बरसात से पहले ही कोई कदम उठाना होगा़
सासाराम (शहर) : शहर का चंद्रवंशी नगर. पिछले वर्ष बरसात में मारपीट की नौबत आ पड़ी थी. लोग प्रशासनिक अधिकारी से उलझने को तैयार थे. मामला था, जलजमाव का. लोगों के घर में पानी जमा हो गया था. उसकी निकासी का मार्ग नहीं मिल रहा था. उस समय अंचल पदाधिकारी अर्थमूवर लेकर पुराने जीटी रोड के किनारे अतिक्रमित चाट की भूमि को काटने के लिए गये थे.
काफी विरोध के बीच आखिर अतिक्रमित भूमि को को काटा गया. तब जा कर लोगों को जलजमाव से मुक्ति मिली थी. बरसात बीतते ही पुनः चाट कि भूमि का अतिक्रमण हो गया और हालात पहले जैसा हो गया है. चाट की भूमि के अतिक्रमण से दो तरह की स्थितियां पैदा हो रही है. जलजमाव व जलस्तर का गिरना. गौरतलब है कि अगर नगर पर्षद क्षेत्र को ही लिया जाये, तो एसपी जैन कॉलेज से बेदा नहर तक पुरानी जीटी रोड के दोनों तरफ चाट में बड़े बड़े गड़्ढ़े थे. इसमें सालों भर पानी भरा रहता था.
चाहे वह बरसात का पानी हो या लोगों के घरों से निकलने वाली नालियों का. बाद में लोग अपने स्वार्थ में उसे भर अतिक्रमण करते गये. चाट के अलावा मंदिर, विद्यालय सहित सार्वजनिक जगहों पर छोटे-छोटे तालाब हुआ करते थे. जिसमें बरसात का पानी इक्ट्ठा होता था. आज स्थिति यह है कि इन तालाब व चाटों का नामो-निशान नहीं है.
कुछ ही सप्ताह बाद बारिश शुरू होने वाली है़ स्थिति वही है, जो पिछले वर्ष थी. हल्की बारिश से शहर में जलजमाव, लोगों के घरों में नाली के पानी घुसना, पड़ोसियों के बीच मारपीट मामला, पुलिस थाना तक सब कुछ इसी तरह चलता रहेगा. चाट अतिक्रमण से जलस्तर नीचे खिसकते जा रहा है. लोगों के बीच पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है.
खाली करानी होगी चाट की भूमि
प्रशासन को पुरानी जीटी रोड के किनारे चाट की भूमि को खाली कराना होगा. प्राकृतिक रूप से चाट गड्ढों को खाली कराना होगा. बरसात होगी तो उस में पानी भरेगा. पानी भरेगा तो जल स्तर बढ़ेगा. गरमी के दिनों में पानी की कमी नहीं होगी. इधर, सासाराम के सीओ विनोद कुमार ने कहा कि पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद चाट की भूमि को खाली कराया जायेगा.
पांच वर्षों में पांच फुट नीचे गया जलस्तर
पीएचइडी के सहायक अभियंता कुमार दीपक ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. जलजमाव तो सिर्फ बरसात के मौसम की समस्या है. सबसे बड़ी समस्या है लगातार भू-जलस्तर का गिरना.
पांच वर्षों में 2011 से 2016 तक लगभग पांच फुट पानी का स्तर नीचे चला गया है. यही स्थिति रही, तो आने वाले वर्षों में अनुपात दो गुना हो जायेगा. चाट व तालाब का अतिक्रमण किया जा रहा है. तनिक स्वार्थ में लोग प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं. यही हाल पूरे जिले का है. बरसात में लोग पानी निकासी के लिये लड़ रहे हैं और गरमी में उसी पानी को लेकर नहीं चेते तो हालात बिगड़ते जायेंगे.

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