17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इलाहाबाद विवि के कुलपति ने लगाया स्मृति ईरानी पर आरोप, कहा, छोड़ दूंगा नौकरी

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तंत्र में ‘गतिरोध’ पैदा होने का आरोप लगाते हुए कुलपति ने अपने सह-अध्यापकों के साथ नौकरी छोड़ने की धमकी दी है. उनका कहना है कि सरकार के रख का समर्थन करने के लिए अकादमिक क्षेत्र के लोगों के बजाय सांसदों या विधायकों को कुलपति […]

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तंत्र में ‘गतिरोध’ पैदा होने का आरोप लगाते हुए कुलपति ने अपने सह-अध्यापकों के साथ नौकरी छोड़ने की धमकी दी है. उनका कहना है कि सरकार के रख का समर्थन करने के लिए अकादमिक क्षेत्र के लोगों के बजाय सांसदों या विधायकों को कुलपति बनाया जा सकता है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति आर.एल. हंगलू ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और एक जमाने में इसे उत्तर का आक्सफोर्ड कहा जाता था. यदि राजनीतिक हस्तक्षेप जारी रहा तो इस विश्वविद्यालय के पुराने स्वर्णिम दिन लौटने की कोई संभावना नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि विद्यार्थियों के आंदोलन से निपटने के तरीके को लेकर हाल ही में हंगलू को भाजपा नेताओं की ओर से आलोचना का सामना करना पडा था. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस, भाजपा, सपा और एबीवीपी से जुडे कई नेता इस विश्वविद्यालय के मामलों में शामिल हैं और यदि ये नेता दखलअंदाजी करते हैं तो विश्वविद्यालय आगे नहीं बढेगा.
हंगलू ने कहा, ‘‘ हम इस विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के पथ पर ले जाना चाहते हैं और यह हमारे लक्ष्य को एक झटका है. मेरे सभी सहयोगियों का कहना है कि यह विश्वविद्यालय को एक झटका है और नेता विश्वविद्यालय की प्रगति में बाधा खड़ी कर रहे हैं. राजनीतिक हस्तक्षेप इस विश्वविद्यालय के लिए एक विघ्न है.’ हंगलू ने कल कहा, ‘‘ यदि नेता हस्तक्षेप करना जारी रखते हैं तो हमें विश्वविद्यालय छोड़ना पडेगा. तब सरकार अपने मनमुताबिक इसे चला सकती है. अकादमिक क्षेत्र के लोगों की जगह विधायकों या सांसदों को कुलपति के तौर पर रखना बेहतर होगा .’
हंगलू आगामी अकादमिक सत्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा के वास्ते ऑफलाइन का विकल्प खुला रखने के इस विश्वविद्यालय के कल के निर्णय पर सवालों का जवाब दे रहे थे. इससे पहले विश्वविद्यालय का रख था कि प्रवेश परीक्षाएं केवल ऑनलाइन कराई जाएंगी. माना जाता है कि कुछ भाजपा सांसदों और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बीच एक बैठक के बाद विश्वविद्यालय ने अपना पूर्व का रख पलटा.
कहा जाता है कि भाजपा सांसदों द्वारा ईरानी के संज्ञान में यह बात लाई गई कि आफलाइन के विकल्प की मांग करते हुए विद्यार्थी संघ के कई नेता भूख हडताल पर चले गए थे. उनका कहना था कि दूर दराज के इलाकों से आने वाले उम्मीदवारों के लिए ऑफलाइन विकल्प खुला रखना जरुरी है. हंगलू ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसमें ‘हस्तक्षेप’ नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें ‘राजनीति’ शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘‘ पहले केवल चार लोग हडताल पर थे जिसकी वजह उनकी अपनी समस्याएं थीं और वे इस विश्वविद्यालय के बारे में नहीं सोचते.’ भाजपा सांसदों और विधायकों के एक समूह ने 5 मई को विश्वविद्यालय का दौरा किया और विद्यार्थियों के आंदोलन से गलत ढंग से निपटने के लिए कुलपति की आलोचना की.
इस महीने की शुरआत में कुलपति के कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रसंघ के नेताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को इन भाजपा सांसदों व विधायकों ने आडे हाथों लिया. इसके बाद, कुछ भाजपा सांसदों ने ईरानी से मुलाकात की और एचआरडी मंत्रालय की ओर से कथित निर्देश के बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अपना रख बदला.
इससे पहले सपा सदस्य अरविन्द कुमार सिंह ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए आनलाइन प्रवेश के विरोध में छात्रसंघ अध्यक्ष रिचा सिंह एवं अन्य छात्रों ने आमरण अनशन किया था.उन्होंने कहा कि छात्रों की मांग है कि आवेदन आफलाइन होने चाहिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब छात्रों को आनलाइन आवेदन में काफी कठिनाई होगी.
सिंह ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि मामला विस्फोट न हो सके. इस पर स्मृति ने कहा कि उन्होंने कुछ ही दिनों पहले कहा था कि विश्वविद्यालयों में सरकार के हस्तक्षेप से कई नये विवादों का जन्म हो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय अपने मुद्दों का स्वयं प्रबंधन करने के लिए स्वायत्त हैं.
बहरहाल, विश्वविद्यालय हमारे संज्ञान में लाया कि एक छात्र आंदोलन चल रहा है तथा हम आफलाइन प्रवेश भी करेंगे और एक विशेष राजनीतिक दल द्वारा दबाव डाला जा रहा है.’ मंत्री ने कहा, ‘‘हमने ध्यान दिया है विश्वविद्यालय आनलाइन प्रवेश के अलावा आफलाइन प्रवेश भी देगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि विश्वविद्यालय ने हमारी अनुमति मांगी, हमने संज्ञान लिया. किन्तु चूंकि वे स्वयं मुद्दों का प्रबंधन कर रहे हैं, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे.’ मंत्री ने कहा कि 120500 से अधिक आनलाइन प्रवेश किये जा चुके हैं.
स्मृति ने राजनीति दलों से अनुरोध किया कि यदि कानून व्यवस्था का मुद्दा हो तो इसे राज्य के अधिकारियों या भारत सरकार के संज्ञान में लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा विश्वविद्यालय के कामकाज में हस्तक्षेप करना और कुलपति को धमकाना विश्वविद्यालय के साथ संपर्क करने का सार्थक तरीका है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें