भोरे : बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद यूपी द्वारा राजस्व बढ़ाने की चाल अब उस पर ही भारी पड़ने लगी है. बिहार में शराबबंदी के बाद जिस यूपी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की दुकानों में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी. अब वही दुकानें उसके गले की फांस बन रही हैं. अचानक यूपी में बढ़े शराबियों और महिलाओं पर बढ़ती छींटाकशी की घटनाओं से आजिज महिलाओं ने अब यूपी में शराबबंदी की मांग उठानी शुरू कर दी है.
महिलाएं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रोल मॉडल बता कर शराबबंदी को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी है. महिलाओं के आंदोलन का ही नतीजा है कि यूपी में दो जगहों से शराब की दुकानों को हटाना पड़ा. अब देखना यह है कि बिहार की शराबबंदी व महिलाओं की जागरूकता यूपी के राजस्व में बढ़ोतरी करती है या फिर बिहार के तर्ज पर यूपी में शराबबंदी लाती है. बता दें कि बिहार में जब पूर्ण शराबबंदी की घोषणा हुई तो यूपी सरकार ने गोपालगंज जिले के भोरे एवं विजयीपुर प्रखंडों से सटे सीमावर्ती इलाकों में 10 नयी दुकानों का लाइसेंस जारी कर दिया.
इसका नतीजा यह हुआ कि महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस करने लगीं. अब वहां शराबियों की भीड़ ने लोगों का जीना हराम कर दिया. बिहार की सीमा पर यूपी के भाटपार रानी थाना क्षेत्र के चनुकी घाट में शराब की दुकान दे दी गयी. इसका नतीजा रहा कि भोरे एवं विजयीपुर से पियक्कड़ों की फौज वहां जुटने लगी. एक सप्ताह पूर्व से महिलाएं शराबबंदी को लेकर आंदोलन कर रही थीं. भारी विरोध के कारण सरकार को चनुकी घाट की दुकान को वहां से हटाना पड़ा. इसी प्रकार सीमा पर पुलिस की सक्रियता के कारण यूपी के अंदर जाकर शराब पीने वालों से परेशान लोगों ने फतेहबाद में स्थित शराब की दुकान को बंद करने के लिए प्रदर्शन किया.