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दवा ही है मिरगी का इलाज

सलाह. नेशनल एप्लेप्सी अपडेट कॉन्फ्रेंस में जुटे देश भर के डॉक्टर दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में पूरे देश से आये 160 से अधिक न्यूरो के डॉक्टर, बोले भारत में 9 लाख लोग हैं मिरगी की चपेट में. पटना : मिरगी दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल समस्या है. यह किसी भी उम्र में प्रभावित करती […]

सलाह. नेशनल एप्लेप्सी अपडेट कॉन्फ्रेंस में जुटे देश भर के डॉक्टर
दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में पूरे देश से आये 160 से अधिक न्यूरो के डॉक्टर, बोले भारत में 9 लाख लोग हैं मिरगी की चपेट में.
पटना : मिरगी दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल समस्या है. यह किसी भी उम्र में प्रभावित करती है. यह बीमारी 15 साल से कम उम्र वाले बच्चे और 60-70 वर्ष में अधिक उम्र के बुजुर्गों में देखी जाती है. दुनिया भर में 50 लाख से अधिक लोग मिरगी से प्रभावित हैं और इनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं. भारत में लगभग 10 लाख लोग मिरगी से ग्रस्त हैं.
यह कहना है शहर के न्यूरो विजन पटना के डायरेक्टर डॉ अजय कुमार सिंह का. शनिवार को नेशनल एप्लेप्सी अपडेट का आयोजन किया गया. इसमें बिहार के अलावा पूरे राज्य से 160 से अधिक न्यूरो डॉक्टरों ने शिरकत की. कार्यक्रम में न्यूरो की नयी सर्जरी, तकनीक और मिरगी के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी. दो दिवसीय इस नेशनल कॉन्फ्रेंस में रविवार को भी न्यूरो के बारे में चर्चा की जायेगी.
बेंगलुरु से आये न्यूरो के डॉक्टर सतीश चंद्रा ने बताया कि लोग अब भी मिरगी के इलाज में जादू-टोने का सहारा लेते हैं. इससे बीमारी तो दूर नहीं होती है, बल्कि समय के साथ खतरनाक हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का एक मात्र इलाज दवा है. जादू-टोना से बीमारी और अधिक बढ़ जाती है. उन्होंने मिरगी आने पर तुरंत न्यूरो के डॉक्टरों से संपर्क करने की सलाह दी.
दिल्ली से आयीं न्यूरो फिजिसियन डॉ मंजरी त्रिपाठी ने कहा कि मिरगी से पीड़ित महिलाओं को प्रसव के दौरान अधिक समस्या आ सकती है और मौत का खतरा भी बढ़ सकता है. अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं को मिरगी की बीमारी होती है, उनमें हर एक लाख महिलाओं में से 80 को गर्भावस्था के दौरान मौत की आशंका रहती है. सामान्य महिलाओं में प्रति एक लाख में छह महिलाओं को ही प्रजनन के दौरान मौत का खतरा होता है.

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