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आर्सेलर मित्तल ने एमओयू से किया इनकार

रांची: आर्सेलर मित्तल ने राज्य में निवेश के लिए सेकेंड स्टेज एमओयू करने से इनकार कर दिया है. वर्ष 2010 से ही आर्सेलर मित्तल के एमओयू की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब जब सरकार कंपनी पर सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए दबाव दे रही है तो कंपनी ने लंदन के कानून का क्लाउज जोड़ने […]

रांची: आर्सेलर मित्तल ने राज्य में निवेश के लिए सेकेंड स्टेज एमओयू करने से इनकार कर दिया है. वर्ष 2010 से ही आर्सेलर मित्तल के एमओयू की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब जब सरकार कंपनी पर सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए दबाव दे रही है तो कंपनी ने लंदन के कानून का क्लाउज जोड़ने की शर्त रख दी. जिसे मानने से झारखंड सरकार ने इनकार कर दिया है. इसी शर्त्त को आधार बनाकर कंपनी ने छह मई को एमओयू करने से इनकार कर दिया है.

अब इससे माना जा रहा है कि आर्सेल मित्तल कंपनी झारखंड में प्लांट लगाने की इच्छुक नहीं है. हालांकि आर्सेलर मित्तल के झारखंड प्रभारी रामकृष्णन ने इस मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साध ली है. उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. राज्य सरकार इस दिन वेदांता के साथ पहले चरण का एमओयू, भूषण व मित्तल के साथ दूसरे चरण का एमओयू करने जा रही थी. अब केवल वेदांता और भूषण स्टील के साथ ही एमओयू होगा.
पेटरवार का कार्यालय बंद किया : आर्सेलर मित्तल ने पेटरवार स्थित स्थानीय कार्यालय को बंद कर दिया है. वहीं रांची के मेन रोड स्थित कार्यालय में केवल नौ स्टाफ ही कार्यरत हैं. सूत्रों ने बताया कि प्रबंधन की ओर से स्टाफ पर नौकरी छोड़ने का का दबाव दिया जा रहा है. कंपनी के सूत्रों ने बताया कि अब मित्तल झारखंड में काम करने में रुचि नहीं ले रहा है. सरकार के दबाव के चलते ही कंपनी औपचारिक घोषणा नहीं कर रही है.
शर्त को बनाया आधार : बताया गया कि सेकेंड स्टेज एमओयू का पूरा ड्राफ्ट लंदन के अधिवक्ताओं ने तैयार किया था. लंदन के अधिवक्ता एमओयू में नन कमिटमेंट क्लाउज जोड़ना चाहते हैं. जबकि झारखंड सरकार का तर्क है कि यहां एमओयू भारत के कानून से होगा न कि लंदन के कानून से. राज्य सरकार ने साफ-साफ क्लाउज जोड़ने से इनकार कर दिया. इसके बाद कंपनी ने सेकेंड स्टेड एमओयू से इनकार कर दिया.
वेदांता प्लांट लगायेगा : वेदांता ग्रुप झारखंड में छह हजार करोड़ की लागत से एक एमटी स्टील प्लांट सरायकेला-खरसावां में लगायेगा. कंपनी द्वारा पहले चरण का एमओयू छह मई को किया जायेगा. वहीं भूषण पावर एवं स्टील के साथ दूसरे चरण का एमओयू किया जायेगा. भूषण द्वारा 10500 करोड़ की लागत से स्टील प्लांट लगाने का प्रस्ताव है.
क्या है मामला
आर्सेलर मित्तल ने 12 एमटी के स्टील प्लांट लगाने के लिए 8.10.2005 को झारखंड सरकार के साथ एमओयू किया था. तब आर्सेलर मित्तल के चेयरमैन लक्ष्मी निवास मित्तल खुद झारखंड आये थे. कंपनी द्वारा 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू किया गया था. कंपनी के एमओयू की अवधि 7.10.2010 को ही समाप्त हो गयी है. इसके बाद से ही सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए कंपनी को कहा जा रहा है. कंपनी द्वारा पेटरवार में प्लांट लगाया जाना है. कुल छह हजार एकड़ जमीन की जरूरत बतायी गयी थी. जिसमें कंपनी द्वारा अब तक केवल 2.23 एकड़ जमीन ही ली गयी है. कंपनी को करमपदा लौह अयस्क का 500 हेक्टेयर और 662 हेक्टेयर का लौह अयस्क खदान मिला हुआ है. झारखंड सरकार ने 662 हेक्टेयर के लिए प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस(पीएल) की अनुमति भी दे चुकी है. कंपनी द्वारा एक माह में ही ड्रिलिंग कर पीएल की रिपोर्ट जमा कर दी गयी. फिलहाल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पास स्टेज टू की पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन लंबित है. कंपनी द्वारा पलामू में 270 एकड़ जमीन क्षतिपूर्ति वनरोपण के लिए ली गयी है, पर इसमें भी अभी विवाद चल रहा है.
स्टील सेक्टर में मंदी एक बड़ी वजह
उद्योग विभाग के सूत्रों ने बताया कि स्टील सेक्टर में ग्लोबल मंदी एक बड़ी वजह है, जिसके चलते आर्सेलर मित्तल अब झारखंड से अपना प्रस्ताव वापस लेना चाहता है. यही वजह है कि कंपनी किसी भी तरह से झारखंड के साथ हुए करार को रद्द करना चाहती है. पर लौह अयस्क खदान की वजह से कंपनी ऐसा नहीं कर पा रही है .
लोग अलग-अलग क्लाउज लेकर आ रहे हैं
हम तो चाहते हैं कि आर्सेलर मित्तल प्लांट लगाये. सरकार पूरा सहयोग कर रही है. अब वही लोग अलग-अलग क्लाउज लेकर आ रहे हैं. बेहतर होगा मित्तल के लोगों से ही पूछे कि क्यों नहीं एमओयू करना चाहते हैं.
के रविकुमार, निदेशक उद्योग

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