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शौचालय बना, तो घर आयी बेटियां

खुशखबरी. मुंबई और दिल्ली में रहती थी पीटर की दो बेटियां, नहीं आती थी गांव पालकोट प्रखंड के बरचट्टान गांव के पीटर मिंज के घर शौचालय नहीं था. घर से दूर रहनेवाली उनकी बेटियों को खुले में शौच जाने में शर्म आती थी. इसलिए दिल्ली और मुंबई से गांव नहीं आना चाहती थीं. लेकिन, वर्ष […]

खुशखबरी. मुंबई और दिल्ली में रहती थी पीटर की दो बेटियां, नहीं आती थी गांव
पालकोट प्रखंड के बरचट्टान गांव के पीटर मिंज के घर शौचालय नहीं था. घर से दूर रहनेवाली उनकी बेटियों को खुले में शौच जाने में शर्म आती थी. इसलिए दिल्ली और मुंबई से गांव नहीं आना चाहती थीं. लेकिन, वर्ष 2015 में जब पीटर ने घर में शौचालय बनवाया, तो बेटियां अपने गांव आने लगीं.पीटर के घर की खुशियां लौट आयीं.
दुर्जय पासवान
गुमला : अजीब कहानी है. घर में शौचालय बना, तो बेटियां दिल्ली व मुंबई से अपने गांव आने लगी. बात हो रही है पालकोट प्रखंड के बरचट्टान गांव की. गांव के पीटर मिंज की दो बेटियां दिल्ली व मुंबई में रहती हैं.
गांव के घर में शौचालय नहीं होने की वजह से दोनों बेटियां गांव आना नहीं चाहती थी़ बेटियों ने अपने पिता से कहा था : जबतक घर में शौचालय नहीं बनेगा, गांव नहीं आउंगी़ बेटियों की मांग पर पीटर मिंज ने वर्ष 2015 में जिला जल एवं स्वच्छता समिति से घर में शौचालय बनवाया. अब दोनों बेटियां घर आती हैं. महीनों तक गांव में रूकती हैं. घर में शौचालय बनने से पीटर मिंज व पत्नी मार्टिन मिंज का अपनी बेटियों से मिलने का सपना पूरा हुआ. घर में शौचालय बनने से बेटियां भी खुश हैं.
स्वच्छ भारत के तहत बना शौचालय
पीटर मिंज की बड़ी बेटी प्रेमा माग्रेट मिंज मुंबई में मिशनरी संस्था में सिस्टर है. वहीं छोटी बेटी प्रतिमा मिंज दिल्ली में है. घर में शौचालय नहीं रहने के कारण दोनों बहन गांव नहीं आती थीं.
पीटर के तीन बेटे मनोज मिंज, जेबियर मिंज व अंसेलम मिंज हैं. इन लोगों को भी खुले में शौच जाने में शर्म आती थी. पीटर गरीब किसान हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शौचालय बना सके, तभी किसी ने उन्हें मुखिया से मुलाकात करने के लिए कहा. पीटर ने पूर्व मुखिया अनिल भगत से मुलाकात कर अपने घर में शौचालय बनवाने की मांग की. पूर्व मुखिया अनिल की पहल से जिला जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत पीटर के घर में वर्ष 2015 में शौचालय बनाया गया.
वर्ष 2015 के अप्रैल माह तक पीटर मिंज के घर शौचालय नहीं था. जिस कारण उसकी दो बेटियां घर नहीं आना चाहती थी. शौचालय बनने के बाद बेटियां गांव आने लगी़
तिलक महतो, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर, स्वच्छता समिति, पालकोट
पीटर ने आवेदन देकर शौचालय बनाने की मांग की. उस समय मुखिया अनिल भगत थे. मुखिया ने पीटर के घर की कहानी बतायी. पीटर के घर नया शौचालय बनने से उसके घर में खुशी आयी है.
मनोज कुंवर, जिला समन्वयक, स्वच्छता समिति, गुमला

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