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आमूल परिवर्तन की जरूरत

आज हमारे देश में तमाम उपलब्धियों के शोर में गरीबी और विषमता को छिपाया नहीं जा सकता़ इनके बीच की खाई बढ़ रही है. ऐसा क्यों है कि समाज के मुख्य अंग होते हुए भी मजदूर, गरीब, किसान तबकों को अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है. स्पष्ट है कि आज का धनिक समाज एक […]

आज हमारे देश में तमाम उपलब्धियों के शोर में गरीबी और विषमता को छिपाया नहीं जा सकता़ इनके बीच की खाई बढ़ रही है. ऐसा क्यों है कि समाज के मुख्य अंग होते हुए भी मजदूर, गरीब, किसान तबकों को अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है.
स्पष्ट है कि आज का धनिक समाज एक भयानक ज्वालामुखी के मुख पर बैठ कर रंगरेलियां मना रहा और शोषकों के मासूम तथा करोड़ों शोषित लोग भयानक खड्ड के कगार पर हैं. देश को आज एक आमूल परिवर्तन की जरूरत है. मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण, एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र का शोषण, जिसे हम साम्राज्यवाद कहते हैं, समाप्त नहीं किया जाता, तब तक मानवता को उसके क्लेशों से छुटकारा मिलना असंभव है.
सुमित कुमार बड़ाईक, सिसई

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