नयी दिल्ली : अगस्ता डील मामले पर राज्यसभा में आज तीखी बहस हुई. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कोई ‘‘अदृश्य हाथ’ सीबीआई और ईडी की कार्रवाई या निष्क्रियता का मार्गदर्शन कर रहा था. उन्होंने कहा कि ए के एंटनी भी सौदे में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार चुके हैं. अब सवाल यह रह गया है कि घूस के पैसे किसे मिले ? अगस्ता वेस्टलैंड डील मामले में मनोहर पर्रिकर ने कई सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि सौदे में एक ही वेंडर का नाम क्यों है ? देश जानना चाहता है कि इस भ्रष्टाचार में कौन शामिल था, किसने समर्थन किया और किसे फायदा हुआ, हम इस जाने नहीं दे सकते है.
जांच जारी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘जांच उन लोगों की भूमिका पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है..सरकार घोटाले में शामिल लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडेगी.’ उन्होंने कहा कि सीबीआई ने काफी जांच कर ली है और वह फिलहाल रिश्वत का धन कहां कहां गया इसका पता लगाने की कोशिश कर रही है.
पर्रिकर ने गुलमर्ग एवं श्रीनगर में हेलीकाप्टरों की उडानें के बारे में भारतीय वायु सेना की लिखित टिप्पणियों संबंधी एक फाइल का उल्लेख करते हुए कहा कि सौभाग्य से यह तीन जून 2014 की विनाशकारी आग से बच गयी. उन्होंने कहा कि यह खुले में होने की बजाय एक अधिकारी की दराज में रखी थी. रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संप्रग ने विदेश मंत्रालय, दूतावास एवं अदालत को लिखा. उन्होंने कहा, ‘‘सौदे को रद्द करने में करीब दो वर्ष लग गये…वास्तव में पहले तीन वायुयानों की आपूर्ति को टाला जा सकता था. ‘ पर्रिकर ने आरोप लगाया कि हेलीकाप्टरों को बढे हुए मूल्यों पर लाया गया तथा मूल्य सौदेबाजी के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं मुहैया कराया गया उन्होंने आरोप लगाया कि आफसेट्स के लिए चयनित कंपनियों में से एक आईडीएस इंफोटेक का इस्तेमाल रिश्वत का धन देने के लिए माध्यम के तौर पर किया गया.
बारह वीवीआईपी हेलीकाप्टरों के लिए 3600 करोड रुपये के इस सौदे के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग अगस्ता वेस्टलैंड के हेलीकाप्टरों को खरीदने के लिए लगातार जोर डाल रहा था. उन्होंने इस मामले का तिथिवार ब्यौरा देते हुए कहा कि सीबीआई ने 12 मार्च 2013 को एक मामला दर्ज किया था किन्तु उसने नौ माह तक प्राथमिकी की प्रति को प्रवर्तन निदेशालय को नहीं दिया. उसके बाद ईडी ने जुलाई तक प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं की. पर्रिकर ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि कोई अदृश्य हाथ सीबीआई एवं ईडी की कार्रवाई या निष्क्रियता का मार्गदर्शन कर रहा था.