ऑकलैंड : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पापुआ न्यू गिनी और न्यूजीलैंड की छह दिवसीय आधिकारिक यात्रा के बाद आज यहां से स्वदेश रवाना हो गये. राष्ट्रपति ने अपनी इस यात्रा में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये. दो देशों की अपनी इस यात्रा के दूसरे चरण में राष्ट्रपति न्यूजीलैंड की तीन दिवसीय यात्रा पर गये जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच कृषि, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा और कौशल विकास के साथ साथ उच्च प्रौद्योगिकी में सहयोग पर बात की. इस यात्रा के दौरान भारत और न्यूजीलैंड ने एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये जिसने पर्यटन एवं व्यापार क्षेत्रों को बढावा देने के लिए दोनों देशों के बीच उडान परिचालन की सीधी सेवा के दरवाजे खोले.
मुखर्जी की यह यात्रा पिछले 20 वर्षों में इस द्वीपीय राष्ट्र में भारत की ओर से पहली उच्च स्तरीय यात्रा है. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी यहां यात्रा पर आए थे. प्रणब ने यहां जिन नेताओं से मुलाकात की जिनमें न्यूजीलैंड के गवर्नर सर जेरी मातेपारेइ और प्रधानमंत्री जॉन की शामिल हैं. इससे पहले राष्ट्रपति ने पापुआ न्यू गिनी की अपनी प्रथम यात्रा में नौवहन की स्वतंत्रता की मांग करते हुए कहा कि संचार के समुद्री मार्ग तनाव और प्रतिद्वंद्विता से परे होने चाहिए.
दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये. भारत ने पापुआ न्यू गिनी में ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए उसे 10 करोड डॉलर का ऋण देने का प्रस्ताव रखा और प्रशांत देश के विस्तृत तेल एवं गैस संसाधनों के विकास एवं अन्वेषण के लिए संयुक्त रूप से नये मार्ग विकसित करने पर सहमति जताई.
इस यात्रा के दौरान भारत ने खनिज पदार्थों से समृद्ध देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को बढावा देने और दोनों देशों के लिए लाभदायक आर्थिक एवं वाणिज्यिक उपक्रम स्थापित करने के लिए अपनी प्रौद्योगिकी, वित्तीय साधनों, दक्ष श्रमबल एवं संस्थागत समर्थन मुहैया कराने का भी प्रस्ताव रखा. राष्ट्रपति ने पापुआ न्यू गिनी में अपने समकक्ष सर माइकल ओगियो से भी मुलाकात की.