रवि मिश्रा
धनबाद : झरिया थाना रोड मानबाद से शिक्षा की जो लौ जली, उसके आज 37 केंद्र हैं. इसमें हर दिन 3500 बच्चे नि:शुल्क शिक्षा ले रहे हैं. ‘समाधान: शिक्षा की नयी पाठशाला’ की शुरुआत चंदन सिंह ने की. 11 नवंबर, 2011 को सुबह एक महिला ने बच्चे का स्कूल से नाम काटे जाने पर आत्महत्या कर ली थी.
वह बच्चे को अच्छी शिक्षा देना चाहती थी, लेकिन गरीबी के कारण उसके पांच साल के बच्चे को भी काम करना पड़ता था. इस ग्लानि में उसने जान दे दी. इसी के बाद चंदन ने अपने भाई कुंदन सिंह के साथ मिल कर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की ठानी. कुंदन तब लंदन में नौकरी करते थे. बड़े भाई चंदन सिंह सरकारी शिक्षक थे. इससे पहले सेना की नौकरी छोड़ चुके थे.
लंदन से कुंदन ने पैसे भेजे. चंदन ने कौशल ठाकुर व मनेंदर साव को पढ़ाना शुरू किया. समाधान की शुरुआत की. नौकरी की तैयारी करने के इच्छुक छात्रों के पास कोचिंग के पैसे नहीं थे. चंदन सिंह ने पहले बड़े बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. उनसे करार किया कि पढ़ने के दौरान हर दिन पांच गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ायेंगे. चंदन की मुहिम रंग लायी. लोग अपनी जगह देने की पेशकश करने लगे. बच्चों को शिक्षण सामग्री के साथ कपड़े भी दिये जाते हैं.
जिले के कई आला अधिकारी साप्ताहिक जांच प्रतियोगिता में आते हैं. केंद्र से लोग जुड़े : रेल डीएसपी बिनोद कुमार महतो, आयकर के संयुक्त आयुक्त राजीव कुमार, सीनियर कमांडेंट डॉक्टर एएन झा, नगर आयुक्त छवि रंजन, सार्जेंट ओम प्रकाश दास, फूड इंस्पेक्टर राजीव सिंह, धनबाद उपायुक्त की पत्नी मनु झा, धनबाद डीसीएम की पत्नी प्राची झा, दुर्गापुर के प्रो प्रत्यूश कुमार, यूपी की सांसद सावित्री बाई फूले, झरिया विधायक संजीव सिंह, पूर्व उपमेयर नीरज सिंह और उनकी पत्नी पूर्णिमा सिंह.
10 डॉक्टर देते हैं नि:शुल्क सेवा
डॉ अनुप, डॉ ओपी अग्रवाल, डॉ विलियम चैन, डॉ सुरेंद्र भागनीया व अन्य. नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच और दवा की व्यवस्था की जाती है.
कैटरिंग से फंड : फंड के लिए समाधान के वॉलेंटियर शादी पार्टी में कैटरिंग का काम करते हैं. हर सप्ताह गली-मुहल्ले, मार्केट, रेलवे स्टेशन पर भिक्षाटन करते हैं. पेपर बेच कर पैसे जुटाते हैं.