उल्लेखनीय है कि जांच के दौरान एसीबी की टीम पूर्व में अरगोड़ा स्थित यादवेंद्र सिंह के अावास में छापेमारी कर चुकी है, लेकिन वहां से एसीबी की टीम को कोई विशेष संपत्ति हासिल नहीं हुई थी. इंस्पेक्टर द्वारा केस में ठीक तरह से अनुसंधान नहीं करने पाने के कारण एसीबी के अफसरों ने अब योजनाआें की समीक्षा के लिए रामगढ़ डीसी से सहयोग लेने का निर्णय लिया है. मामले में यादवेंद्र सिंह के अलावा और कौन-कौन अफसर शामिल हैं, इस दिशा में आगे जांच करने का निर्णय लिया गया है. सभी योजनाअों की जांच एसीबी की टीम जल्द ही तकनीकी परीक्षण कोषांग के सहयोग से भी करा सकती है, ताकि यह साबित हो सके कि प्राक्कलित राशि के आलोक में काम हुआ या नहीं.
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इंजीनियर पर 10 करोड़ की योजनाओं में गड़बड़ी का है आरोप, आठ माह में भी इंस्पेक्टर नहीं कर सके योजनाओं में गड़बड़ी की जांच
रांची: इंजीनियर यादवेंद्र सिंह पर रामगढ़ में 10 करोड़ की योजना में गड़बड़ी करने का आरोप है. इसे लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) में उनके खिलाफ केस दर्ज है. एसीबी उनके संपत्ति की भी जांच कर रही है. जांच की जिम्मेवारी इंस्पेक्टर चेतनानंद सिन्हा पर है, लेकिन वे जांच के दौरान पिछले आठ माह […]
रांची: इंजीनियर यादवेंद्र सिंह पर रामगढ़ में 10 करोड़ की योजना में गड़बड़ी करने का आरोप है. इसे लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ) में उनके खिलाफ केस दर्ज है. एसीबी उनके संपत्ति की भी जांच कर रही है. जांच की जिम्मेवारी इंस्पेक्टर चेतनानंद सिन्हा पर है, लेकिन वे जांच के दौरान पिछले आठ माह में भी बता पाये कि योजना में कुल कितने की राशि का गबन हुआ है. उन्होंने अभी योजना से संबंधित 205 संचिकाओं में 186 योजनाआें की संचिका हासिल की है. उन्होंने आठ माह के दौरान चिह्नित 205 योजनाअों में एक का भी भौतिक सत्यापन नहीं किया.
जिससे अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि योजनाओं के अंतर्गत निर्माण कार्य हुआ या नहीं. एसीबी के सीनियर अफसरों ने अनुसंधान में इस तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया है. सीनियर अफसरों ने जांचकर्ता इंस्पेक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से पहले स्पष्टीकरण मांगने का निर्णय लिया है.
उल्लेखनीय है कि जांच के दौरान एसीबी की टीम पूर्व में अरगोड़ा स्थित यादवेंद्र सिंह के अावास में छापेमारी कर चुकी है, लेकिन वहां से एसीबी की टीम को कोई विशेष संपत्ति हासिल नहीं हुई थी. इंस्पेक्टर द्वारा केस में ठीक तरह से अनुसंधान नहीं करने पाने के कारण एसीबी के अफसरों ने अब योजनाआें की समीक्षा के लिए रामगढ़ डीसी से सहयोग लेने का निर्णय लिया है. मामले में यादवेंद्र सिंह के अलावा और कौन-कौन अफसर शामिल हैं, इस दिशा में आगे जांच करने का निर्णय लिया गया है. सभी योजनाअों की जांच एसीबी की टीम जल्द ही तकनीकी परीक्षण कोषांग के सहयोग से भी करा सकती है, ताकि यह साबित हो सके कि प्राक्कलित राशि के आलोक में काम हुआ या नहीं.
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