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नियमों की हो रही अनदेखी! लापरवाही. नगर थाना पुलिस नहीं कर रही गाइड लाइन का पालन

लोगों को एक उम्मीद रहती है कि पुलिस अपना काम बखूबी निभाये और उस पर जल्द-से-जल्द कार्रवाई करे. ऐसे में अगर पुलिस की ओर से ही उदासीनता बरती जाये, तो न्याय की उम्मीद रखनेवालों को एक निराशा हाथ लगती है. इस संदर्भ में सुप्रीमकोर्ट ने भी एक गाइडलाइन बनायी थी, जिसका पालन यहां होते नहीं […]

लोगों को एक उम्मीद रहती है कि पुलिस अपना काम बखूबी निभाये और उस पर जल्द-से-जल्द कार्रवाई करे. ऐसे में अगर पुलिस की ओर से ही उदासीनता बरती जाये, तो न्याय की उम्मीद रखनेवालों को एक निराशा हाथ लगती है. इस संदर्भ में सुप्रीमकोर्ट ने भी एक गाइडलाइन बनायी थी, जिसका पालन यहां होते नहीं दिख रहा है.

सीवान : खाकी वरदी की भूमिका पर ही पीड़ितों को न्याय की उम्मीद रहती है. अगर पुलिस ही शिथिल पड़ जाये, तो मुश्किल बढ़ जाती है. ऐसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व गाइड लाइन का नगर थाना पुलिस पर कोई असर नहीं दिख रहा. नतीजा है कि पुलिस की लापरवाही से न्याय की उम्मीद यहां टूटती हुई नजर आ रही है.
पुलिस की शिथिलता से बढ़ जाती हैं लोगों की मुश्किलें
हाजत से बाइक चोर फरार मामले में नहीं हुई कार्रवाई
कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं ने 22 अप्रैल को बाइक चुराते समय एक युवक को दबोचा तथा नगर थाना पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर हाजत में बंद कर दिया. लेकिन, नाटकीय ढंग से नगर थाने से ही अभियुक्त फरार हो गया. इस घटना के लिए अनुशासन का पाठ पढ़ानेवाले अफसरों ने किसी भी पुलिसकर्मी की लापरवाही सुनिश्चित नहीं की. आमतौर पर ऐसे मामलों में यह परंपरा रही है कि जवाबदेही तय कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है.
प्राथमिकी के तीन दिन बाद कोर्ट पहुंचा अभिलेख
15 अप्रैल को रामनवमी के दिन दो पक्षों में विवाद हुआ. इसमें नगर थाना पुलिस ने सवा सौ लोगों के खिलाफ नामजद तथा अज्ञात एक हजार लोगों के खिलाफ अलग-अलग चार प्राथमिकियां दर्ज कीं. इस मामले में अभिलेख 18 अप्रैल को कोर्ट में पेश किया गया. इसी दिन गिरफ्तार अभियुक्त भी कोर्ट में हाजिर किये गये, जबकि इनकी गिरफ्तारी 16 अप्रैल को दिखायी गयी है. उधर, उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइन तथा सीआरपीसी की धारा 157 के तहत प्राथमिकी दर्ज के तत्क्षण संबंधित न्यायालय को अभिलेख सुपुर्द करना है. साथ ही गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश किया जाना अनिवार्य है. यहां नगर थाना पुलिस ने दोनों आदेशों को नजरअंदाज किया.
इंस्पेक्टर के कार्य से नाराजगी जता चुके हैं सीजेएम
प्रखंड हसनपुरा प्रखंड के पिआउर मुखिया याशमिन आरा की जब्त स्काॅर्पियो के संबंध में सीजेएम अरविंद कुमार सिंह ने नगर थाने से रिपोर्ट मांगी. इसके बाद भी रिपोर्ट नहीं देने तथा कारण पूछे जाने पर बाद में जवाब भी नगर इंसपेक्टर प्रियरंजन ने नहीं दिया. इस पर कोर्ट ने इंस्पेक्टर के कार्यों से नाराजगी जताते हुए इंस्पेक्टर का वेतन रोकने का एसपी को आदेश दिया.
नगर इंस्पेक्टर की दलीलें : कानून के साथ खिलवाड़ करने के आरोपों को नगर थाने के इंस्पेक्टर प्रियरंजन ने खारिज करते हुए कहा कि रामनवमी के मामले में विधि व्यवस्था के कार्य में व्यस्तता के कारण अभिलेख सहित अभियुक्त की पेशी में विलंब हुआ. हाजत से फरार होने के मामले में जांच चल रही है. कोर्ट के वाहन संबंधित मांगे गये प्रतिवेदन पर इंस्पेक्टर ने कहा कि मामला एमएच नगर थाने का था.

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