नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि संसद की संयुक्त स्थायी समिति ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को मंजूरी दे दी है और इसे संसद के चालू बजट सत्र में ही चर्चा के लिए रखा जा सकता है. बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) पर संसद की सलाहकार समिति की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुये जेटली ने कहा कि फंसे कर्ज की बढती समस्या से निपटने के लिये सरकार लोकसभा में दिवाला संहिता पेश करने सहित अनेक कदम उठा रही है. जेटली ने अपने शुरआती संबोधन में कहा दिवाला संहिता को संसद की संयुक्त स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी है.
इसके अलावा बैंकों के फंसे कर्ज की वसूली में तेजी लाने तथा प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिये प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेइसी) कानून और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) कानून में संशोधन किया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि फंसे कर्ज के जिन मामलों में यह देखा गया है कि बैंक ने गारंटर के खिलाफ ऋण वसूली के लिये जो कारवाई की है वह काफी नहीं है, ऐसे मामलों में सरकार ने बैंकों से कहा है कि वह कर्ज की नियमित रूप से वसूली नहीं होने की स्थिति में गारंटर के खिलाफ सरफेइसी कानून, भारतीय अनुबंध कानून और आरडीडीबी एण्ड एफआई कानून की संबंधित धाराओं के तहत कारवाई करें.
उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में बैंकों को पिछले महीने आदेश जारी कर दिये गये हैं. जेटली ने कहा कि सरकार ने फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) के मामले में बैंकिंग क्षेत्र विशेषतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले से निपटने के लिये कई उपाय किये हैं. जेटली ने कहा कर्ज वापसी में असफल रहने वालों की मुख्य तौर पर दो श्रेणियां हैं. एक तो वह हैं जो कि घरेलू और वैश्विक आर्थिक सुस्ती की वजह से या फिर दूसरे कारणों से जो कि उनके नियंत्रण से बाहर हैं कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं. दूसरे ऐसे लोग हैं जो कि जानते बूझते हुये भी कर्ज नहीं चुका रहे हैं.
इनमें ऐसे कर्ज भी शामिल हैं जो कि बैंकों द्वारा बिना किसी जांच परख के दिये गये. उन्होंने कहा कि इन दोनों ही श्रेणी के कर्जदारों से वसूली के लिये सरकार अनेक कदम उठा रही है. जेटली ने कहा कि आर्थिक सुस्ती की वजह से कर्ज नहीं चुकाने की समस्या से निपटने के लिये सरकार ने इस्पात, कपडा, बिजली और सडक क्षेत्र की सुस्ती को दूर करने के लिये कई कदम उठाये हैं ताकि इन क्षेत्रों में गतिविधियां तेज हों.
उन्होंने कहा कि सरकार ने बैंकों के पूनपूंर्जीकरण के लिये भी कदम उठाये हैं और 2015-16 के बजट में उन्हें 25,000 करोड रुपये उपलब्ध कराये गये. इस साल के बजट में भी बैंकों को इतनी ही राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रबंधन के शीर्ष स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और पेशेवर लोगों को लाने के लिये कदम उठाये गये हैं. बैंकों के प्रबंधन को बेहतर और पेशेवर बनाने के साथ-साथ उन्हें वाणिज्यिक फैसले लेने में सरकार की तरफ से बिना किसी हस्तक्षेप के पूरी स्वायतता दी गयी है.
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