सड़क पर बाइक एवं अन्य गाड़ियां लगाने की आदत से बाज नहीं आ रहे लोग
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चिलचिलाती धूप में जाम से कराहते लोग
सड़क पर बाइक एवं अन्य गाड़ियां लगाने की आदत से बाज नहीं आ रहे लोग स्थायी दुकानदारों द्वारा सड़क पर दुकान सजाने से अतिक्रमित होती हैं सड़कें ठेला वेंडरों द्वारा बीच सड़क पर दुकान लगाने की प्रवृत्ति के कारण लगता है जाम पड़ाव में गाड़ी लगाने के बदले सड़क पर लगाने में लोग समझते हैं […]
स्थायी दुकानदारों द्वारा सड़क पर दुकान सजाने से अतिक्रमित होती हैं सड़कें
ठेला वेंडरों द्वारा बीच सड़क पर दुकान लगाने की प्रवृत्ति के कारण लगता है जाम
पड़ाव में गाड़ी लगाने के बदले सड़क पर लगाने में लोग समझते हैं शान
प्रशासनिक सख्ती पर कुछ दिनों के लिए सुधरती है स्थिति
हाजीपुर : शहर के कई मार्गों पर स्थित कार्यालयों के कारण वहां आने वाले लोग अपनी बाइक को सड़क पर खड़ी कर देते हैं और लोग दिन भर सड़क जाम से त्रस्त रहते हैं, लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं हैं. न तो कार्यालय संचालित करने वालों को, न ही मकान मालिकों को और न ही जिला प्रशासन को. शहर को जाम मुक्त कराने के लिए इस मर्ज की दवा आवश्यक है.
क्या है समस्या: शहर के अति व्यस्ततम मार्ग गुदरी रोड में स्थित एलआइसी कार्यालय, सिनेमा रोड में स्थित एसबीआइ की शाखा, राजेंद्र चौक-सुभाष चौक मार्ग पर स्थित कई बैंक, सदर अस्पताल रोड स्थित नर्सिंग होम और बैंक के पास पर्याप्त पार्किंग सुविधा उपलब्ध नहीं हैं, फलत: यहां आने वाले लोग अपनी बाइक को सड़क पर खड़ी कर कार्यालय में चले जाते हैं और तब तक आम लोग सड़क जाम का सामना करते रहते हैं. इस चारों प्रमुख मार्ग पर सड़क जाम का एक प्रमुख कारण यह भी है लेकिन इसका समाधान खोजने की दिशा में अब तक कोई कार्रवाई धरातल पर नहीं दिख रही हैं.
सड़कों पर सजती हैं दुकानें : शहर के विभिन्न मार्गों पर दुकानदार अपनी दुकान सजाते समय इसे बाहर निकाल कर सड़क पर सजाते हैं. उन्हें न तो कोई मना करता है और नहीं वे अपने द्वारा किये जा रहे कार्य से लोगों की हो रही परेशानी को समझने की कोशिश करते हैं. सड़क पर दुकान सजाने से पहले से ही संकड़ी सड़कें और भी संकरी हो जाती है और लोगों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है.
आखिर लोग क्या करें: शहर की अधिकांश सड़कें आवश्यकता से कम चौड़ी हैं और जो सड़क हैं, उसमें से भी लगभग आधा हिस्सा अतिक्रमित है. ऊपर से लोग अपनी बाइक सड़क पर ही खड़ी कर देते हैं, ऐसे में आम लोगों के सामने समस्या हैं कि वे क्या करें. शहर के विभिन्न मार्गों पर सड़क के दोनों ओर के दुकानदार सड़क को अतिक्रमित कर देते हैं और इसके विरुद्ध जिला प्रशासन एक दो दिनों का अभियान चला कर फिर छोड़ देता है, जिससे यह बीमारी अब शहर के लिए नासूर बनती जा रही है.
स्टैंड में सजी है दुकान : नगर पर्षद ने कचहरी रोड, सदर अस्पताल रोड आदि जगहों पर साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड बनाये थे और यहां लोगों से अपने वाहन को खड़ी करने का अनुरोध भी किया था, लेकिन लोग महज चंद रुपये बचाने के लिए अपनी गाड़ियों को असुरक्षित सड़कों पर खड़ी कर यातायात को बाधित करते रहें और पड़ाव का उपयोग नहीं किया. पर्षद के संवेदक इस पड़ाव का उपयोग दुकान लगाने के लिए कर रही है. ऐसे में लाख टके का सवाल है कि जाम की समस्या कैसे समाप्त हो.
प्रशासनिक कड़ाई पर सुधरते हैं हालात :
ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन इस मामले को लेकर पूरी तरह उदासीन है. यदा-कदा इस मामले पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करता है और उसका असर भी धरातल पर दिखता है, लेकिन प्रशासनिक कड़ाई समाप्त होते ही फिर बैताल डाल पर वाली स्थिति पैदा हो जाती है और लोग जाम की चक्की में पीसने को विवश हो जाते हैं.
नागरिकों में नहीं विकसित हो रहा सामुदायिक सोच : सड़क जाम की समस्या के मूल में लोगों में सामुदायिक सोच की कमी है. सड़क पर दुकान लगानेवाले या वाहन खड़ी कर देनेवाले व्यक्ति केवल अपनी सुविधा और अपना लाभ देखते हैं. लोगों के सोच में कभी उनके काम से दूसरे को होनेवाली परेशानी नहीं दिखती है. फलत: वे अपने हिसाब से वाहन और दुकान लगा देते हैं. लोगों में कानून के प्रति सकारात्मक सोच और सामुदायिक सोच को विकसित कर ही इस समस्या से पूरी तरह से निजात पाया जा सकता है.
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