नयी दिल्ली : राज्यसभा की एथिक्स कमेटी में आज विजय माल्या की राज्यसभा सदस्यता के मुद्दे पर विचार किया. बैठक एथिक्स कमेटी के चेयरमैन कर्ण सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें यह सवाल उठा कि राज्यसभा सेबैंक डिफॉल्टर उद्योगपति विजय माल्या की सदस्यता क्यों नहीं रद्द कर दी जाये. एथिक्स कमेटी के सदस्य इस निष्कर्ष पर भी पहुंचे कि विजय माल्या ने अपने व्यवहार व कार्यकलाप से संसद की गरिमा गिरायी.कर्ण सिंह ने कहा कि एथिक्स कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि विजय माल्या की राज्यसभा सदस्यता रद्द होनी चाहिए. पर, हम उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह तक का समय दे रहे हैं, वे जो चाहते हैं कह सकते हैं. वहीं, एथिक्स कमेटी के सदस्य शरद यादव ने कहा कि उन्हें प्रक्रिया पूरा करने के लिए समय दिया गया है, लेकिन यह ठोस मत है कि वियज माल्या की संसद सदस्यता रद्द होनी चाहिए.
एथिक्स कमेटी की बैठक के बाद कर्ण सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हमारी कमेटी की तीन मई को फिर बैठक होगी और उसमें हम विजय माल्या की सदस्यता पर अंतिम निर्णय लेंगे. उन्होंने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि तुरंत कोई निर्णय नहीं लिया जाता है. कर्ण सिंह ने कहा कि विजय माल्या को हम पत्र भेज कर इस पूरे मामले में पूछेंगे और उनके जवाब के बाद इस संबंध में निर्णय लेंगे.
उल्लेखनीय है कि विजय माल्या पर विभिन्न बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये कर्ज है. राज्यसभा का सदस्य होने के कारण कूटनीतिक पासपोर्ट का सहारा लेकर वे तीन मार्च को देश से निकल गये थे. उन पर मनी लाउंड्रिंग का आरोप है, जिस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने तीन बार माल्या को पेशी के लिए नोटिस भेजा, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए. उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय के अाग्रह पर विजय माल्या का पासपोर्ट विदेश मंत्रालय से निरस्त कर दिया. विजय माल्या को देश वापस लाने की कोशिश में भी विभिन्न एजेंसियां लगी हैं.