उन्होंने पिस्कामोड़ स्थित सरना स्थल पर हो रहे अतिक्रमण पर भी चिंता व्यक्त की अौर कहा कि इसे बचाने के लिए सरना धर्मावलंबियों को आगे आना होगा. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ अरुण उरांव ने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है ग्लोबल वार्मिंग. प्रकृति संरक्षण को हमें जनांदोलन का रूप देना होगा. वीरेंद्र भगत ने भी संबोधित किया.
इस अवसर पर विभिन्न मौजा से पहुंचे लोगों ने सरहुल पर आधारित गीत व नृत्यों की प्रस्तुति दी. होरा होरा रंगा लेना…, दादा तो चल चल कहेला भौजी तो लुगा मांगेला…सहित अन्य गीतों पर लोग देर शाम तक झूमते रहे. इस अवसर पर मधुकम, हेहल, पंडरा, बनहौरा, बजरा, कमड़े, झिरी, रातू सहित अन्य स्थानों से लोग एकत्र हुए.