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गूगल ने शेक्सपीयर की याद में बनाया डूडल

नयी दिल्ली : महान साहित्यकार विलियम शेक्सपीयर को गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है. आज ही के दिन 1616 में शेक्सपीयर का देहांत हुआ था. गूगल ने डूडल के माध्‍यम से शेक्सपीयर के रचनाओं के कलाकारों को दिखाया है. शेक्सपीयर अपने जमाने के काफी प्रख्‍यात साहित्यकार थे. उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं. विलियम […]

नयी दिल्ली : महान साहित्यकार विलियम शेक्सपीयर को गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है. आज ही के दिन 1616 में शेक्सपीयर का देहांत हुआ था. गूगल ने डूडल के माध्‍यम से शेक्सपीयर के रचनाओं के कलाकारों को दिखाया है. शेक्सपीयर अपने जमाने के काफी प्रख्‍यात साहित्यकार थे. उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं. विलियम शेक्सपियर, जॉन शेक्सपियर तथा मेरी आर्डेन के बड़े पुत्र थे. उनसे बड़ी दो बहने थीं. उनका जन्म 26 अप्रैल 1564 को हुआ था. बाल्यकाल में उनकी शिक्षा स्थानीय फ्री ग्रामर स्कूल में हुई.

पिता की बढ़ती हुई आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें पाठशाला छोड़कर छोटे मोटे धंधों में लग जाना पड़ा. जीविका के लिए उन्होंने लंदन जाने का निश्चय किया. इस निश्चय का एक दूसरा कारण भी था. शायद चार्ल कोट के जमींदार सर टामस लूसी के उद्यान से हिरण की चोरी की ओर कानूनी कार्यवाही के भय से उन्हें अपना जन्मस्थान छोड़ना पड़ा. उनका विवाह सन् 1582 में एन हैथावे से हो चुका था.

सन 1585 के लगभग शेक्सपियर लंदन आए. शुरू में उन्होंने एक रंगशाला में किसी छोटी नौकरी पर काम किया, किंतु कुछ दिनों के बाद वे लार्ड चेंबरलेन की कंपनी के सदस्य बन गये और लंदन की प्रमुख रंगशालाओं में समय समय पर अभिनय में भाग लेने लगे. ग्यारह वर्ष के बाद सन 1596 में ये स्ट्रैटफोर्ड आन एवन लौटे और अब इन्होंने अपने परिवार की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ बना दी. सन 1597 में इन्होंने धीरे-धीरे नवनिर्माण एवं विस्तार किया.

शेक्सपियर ने जिन ऐतिहासिक नाटकों की रचना की उनमें कई रोमन इतिहास विषयक हैं. इन रोमन नाटकों के लेखन में शेक्सपियर ने इतिहास के तथ्यों को थोड़ा बहुत बदल दिया है और कतिपय स्थलों पर ऐसा प्रतीत होने लगता है कि जीवन का जो चित्र उपस्थित किया गया है वह प्राचीन रोम का नहीं अपितु ऐलिजावेथ कालीन इंग्लैंड का है.

इतना होने पर भी ये नाटक सदैव लोकप्रिय रहे हैं, विशेषकर जुलियस सीजर तथा एंटोनी ऐंड क्लिओपाट्रा. ऐंटोनी ऐड क्लिओपाट्रा कवित्वपूर्ण अंशों से भरा पड़ा है तथा क्लिओपाट्रा की चरित्रकल्पना अत्यंत प्रभावोत्पादक है. टाइमन ऑव एथेंस और पेरिकिल्स में यूनानी इतिहास की घटनाओं का निरूपण किया गया है. अंग्रेजी इतिहास पर आधारित नाटकों में कुछ तो ऐसे हैं जो केवल आंशिक रूप में शेक्सपियर द्वारा लिखे गये हैं किंतु हेनरी चतुर्थ के दोनों भाग और हेनरी पंचम पूर्ण रूपेण शेक्सपियर द्वारा प्रणीत हैं. इन तीनों नाटकों में कवि को महान् सफलता मिली है.

इनमें शौर्य और सम्मानभावना का अत्यंत आकर्षक प्रतिपादन हुआ है और फाल्स्टाफ का चरित्र अत्यंत रोचक एवं स्पृहणीय हैं. रिचर्ड तृतीय और रिचर्ड द्वितीय में मार्लो का अनुकरण सफलतापूर्वक किया गया है. शेक्सपियर के पूर्व के अधिकांश अंग्रेजी ऐतिहासिक नाटकों में तथ्यों और घटनाओं का निर्जीव चित्रण रहता था तथा कोरी इतिवृत्तात्मकता के कारण वे नीरस होते थे. शेक्सपियर ने इस प्रकार के नाटकों को जीवंत रूप देकर चमत्कारपूर्ण बना दिया है.

अंतिम नाटकों में शेक्सपियर का परिपक्व जीवनदर्शन मिलता है. महाकवि को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव हुए थे जिनकी झलक उनी कृतियों में दिखाई पड़ती है. प्रणय विषयक सुखांत नाटकों में कल्पनाविलास है और कवि का मन ऐश्वर्य और यौवन की विलासिता में रमा है. दु:खांत नाटकों में ऐसे दु:खद अनुभवों को अभिव्यक्ति है जो जीवन को विषाक्त बना देते हैं. शेक्सपियर के कृतित्व की परिणति ऐसे नाटकों की रचना में हुई जिनमें उनकी सम्यक बुद्धि का प्रतिफलन हुआ है.

कवि अब अपनी विवेकपूर्ण दृष्टि से देखता है कि जीवन में सुख और दु:ख दोनों सन्निविष्ट रहते हैं, अत: दानों ही क्षणिक हैं. जीवन में दु:ख दोनों सन्निविष्ट रहते हैं, अत: दोनों ही क्षणिक हैं. जीवन में दु:ख के बाद सुख आता है, अतएव विचार और व्यवहार में समत्व वांछनीय है. इन अंतिम नाटकों से यह निष्कर्ष निकलता है कि हिंसा और प्रतिशोध की अपेक्षा दया और क्षमा अधिक श्लाघनीय हैं. अपने गंभीर नैतिक संदेश के कारण इन नाटकों का विशेष महत्व है.

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