ऑनलाइन पेमेंट का चलन पहले भी था पर इन दिनों मोबाइल फ़ोन से ‘माइक्रो पेमेंट’ का चलन भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है.
पहले आप बिजली, पानी, गैस जैसे बिल अपने क्रेडिट कार्ड या मोबाइल फ़ोन से भर देते थे. अब आप सब्ज़ी, किराना यहां तक कि ऑटो वालों के बिल भी अपने मोबाइल फ़ोन से भर सकते है.
माइक्रो पेमेंट के मॉड्यूल पर आधारित ये मोबाइल एप्स आपको एक रुपए से एक लाख रुपए से भी ज़्यादा तक की राशि चुकाने में मदद करते हैं.
ऐसी ही कुछ ऐप्स के इस्तेमाल और सावधानी के बारे में हमने जानने की कोशिश की.
मोबाइल पेमेंट ऐप ‘सिट्रस’ ऐसी ही ऐप है, जिसकी मदद से उपभोक्ता ऑनलाइन पेमेंट कर छोटी सी छोटी रक़म भी चुका सकते हैं.
‘सिट्रस’ के सीईओ अमरीष राऊ का कहना था, "मैं पिछले 20 साल से ऑनलाइन पेमेंट के व्यापार में हूँ, लेकिन इसमें जितनी बढ़ोत्तरी पिछले दो-तीन साल में आई है, वो देखते बनती है."
ऑनलाइन पेमेंट में बदलाव के बारे में उन्होंने कहा, "पहले लोग डिजिटल पेमेंट के नाम पर सिर्फ़ एटीएम इस्तेमाल करते थे. अब मोबाइल से भुगतान इतना आसान हो गया है और लोग इसका उपयोग भी कर रहे हैं."
वे उदाहरण देते हैं, "मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी-लिंक पर लोग अब डिजिटल तरीक़े से भुगतान करने लगे हैं. महाराष्ट्र सरकार की मदद से अब लोग डिजिटल कार्ड से भी टोल टैक्स चुका रहे हैं, जिसे वो अपने फ़ोन से रिचार्ज करवा सकते हैं."
वह कहते हैं, "आज रोज़ क़रीब तीन लाख़ से ज़्यादा भुगतान मोबाइल फ़ोन से हो रहे हैं और यह तो मैं सिर्फ़ अपनी कंपनी के आंकड़े बता रहा हूँ."
अगर आपको लगता है कि फ़ोन भुगतान सिर्फ़ महँगे शोरूम या मॉल में ही हो सकते हैं तो आपको जानकर हैरानी होगी कि आप इसका इस्तेमाल अपने नज़दीकी सब्ज़ी वाले या किराने की दुकान पर भी कर सकते हैं.
मोबाइल पेमेंट ऐप ‘ऑनगो’ के संचालक दीपक भुत्रा ने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट के बारे में छोटे या लघु उद्योग करने वाले भी तेज़ी से जागरूक हो रहे हैं.
दीपक के मुताबिक़, "हमारी टीम ने जब कुछ ऑटो चालकों से इस बारे में बात की तो वे तुरंत हमारे साथ जुड़ने को तैयार हो गए."
उनका कहना था, "हमने ऐसे भी मामले देखे कि ग्राहक ने ऑटो चालक को 100 रुपए कैश में दिए और मात्र चार रुपए का भुगतान मोबाइल ऐप से किया."
दीपक के मुताबिक़ मोबाइल से भुगतान इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग इसे आसान मानते हैं और इसमें आपको पैसे संभालकर भी नहीं रखने पड़ते.
मगर इसी के साथ साइबर सुरक्षा की बात भी जुड़ी है.
अमरीष बताते हैं कि हम किसी भी प्रकार का ऑनलाइन या डिजिटल पेमेंट गेटवे बनाते वक़्त आरबीआई (रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया) के निर्देशों पर ही काम करते हैं, जिसमें उपभोक्ता की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है.
दीपक कहते हैं, "जहां भी आप पैसा जमा करवाते हैं, वहां इसका पता कर लें कि क्या वहां ‘डिजिटल मनी’ सुविधा उपलब्ध है."
‘पेटीएम’, ‘इंस्टामोजो’, ‘मोबीक्विक’ जैसी ऐप्स भारत में बढ़ रही हैं और इनका इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता भी.
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