अनदेखी. प्राक्कलन के अनुरूप नहीं बनी शहरी जलापूर्ति योजना
गरमी बढ़ने के साथ ही शहरी क्षेत्र में जल संकट गहराने लगा है़ शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति की समस्या काफी पुरानी है, लेकिन यही समस्या गरमी में और भी परेशान करनेवाली हो जाती है़
गोपी कुंवर : शहरी क्षेत्र के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं. लोहरदगा शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति की समस्या काफी पुरानी है. गरमी में यह समस्या और भी विकराल रूप धारण कर लेती है. शंख नदी की पुरानी जलापूर्ति योजना के स्थान पर कोयल नदी से पेयजलापूर्ति योजना की शुरुआत की गयी़, किंतु निर्माण की तकनीकी गड़बड़ी के कारण गरमी और बरसात दोनों ही मौसम में शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है.
लोहरदगा शहरी क्षेत्र में पेयजलापूर्ति के लिए वर्ष 2004 में करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये की लागत से कोयल नदी से जलापूर्ति की योजना की स्वीकृति प्रदान की गयी. इस स्वीकृत राशि से कोयल नदी से जलापूर्ति के लिए नदी तल पर तीन कुआं, एक पंप हाउस लोहरदगा नगरपालिका परिसर तथा पीएचइडी कैंपस में एक-एक क्लियर वाटर प्लांट, बिजली का ट्रांसफारमर, मोटर पंप सहित नगर पर्षद क्षेत्र के उन स्थानों में जहां जलापूर्ति केलिए पाइप लाइन नहीं पहुंच पायी थी, वहां पाइप लाइन बिछाने की योजना थी.
9.89 करोड़ रुपये की मिली थी स्वीकृति
इस जलापूर्ति योजना को पूरा करने के लिए नौ करोड़ 89 लाख रुपये की प्राक्कलन राशि की स्वीकृति नगर विकास विभाग द्वारा प्रदान की गयी थी. नयी दिल्ली के संवेदक एसएन इन्वाइरोटेक प्राइवेट लिमिटेड को कार्यादेश दिया गया था.
वर्ष 2010 में इस जलापूर्ति योजना को पूर्ण दिखा कर आनन-फानन में शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति का कार्य प्रारंभ कर दिया गया, जबकि इसके कई कार्य आज भी अधूरे पड़े हैं. कोयल नदी से जलापूर्ति के लिए जहां तीन कुओं का निर्माण किया जाना था, वहां एक ही कुआं का निर्माण किया गया.
इसके निर्माण में भी तकनीकी गड़बड़ी हुई, जिसका खमियाजा बरसात मे भुगतना पड़ता है. नदी में बने कुएं में बाढ़ से आयी मिट्टी और बालू भर जाता है. पंप हाउस का निर्माण भी नदी तल में कर दिया गया है, जो कि बरसात में पानी में डूब जाता है. जलापूर्ति के लिए विद्युत कनेक्शन दिया गया है, वह भी डूब क्षेत्र में ही है. बरसात में बाढ़ का पानी आ जाने से जलापूर्ति पूरी तरह बाधित हो जाती है.
पांच फीट पाइप जोड़ा जायेगा
नगर पर्षद क्षेत्र की आबादी लगभग 58 हजार है़ गरमी के इस मौसम में कोयल नदी पर बने कुएं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. अब पांच फीट नया पाइप जोड़ कर पानी निकालने का काम होगा. बताया जा रहा है कि यदि प्राक्कलन के अनुरूप तीनों कुओं का निर्माण होता, तो ये स्थिति आज उत्पन्न नहीं होती.
कई गलियों में आज भी जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन नहीं बिछायी जा सकी है. लगभग एक चौथाई आबादी आज भी पेयजल से वंचित है. लोहरदगा शहर में अधिकतर चापानल खराब हैं या फिर पठारी क्षेत्र होने के कारण सफल नहीं हैं. इसके लिए लगभग पूरी आबादी जलापूर्ति पर ही निर्भर रहती है. 17 मई 1983 को लोहरदगा जिला बना, लेकिन इतने वर्षो के बाद भी पीने की पानी की मुक्कमल व्यवस्था नहीं हो पायी है.
गंभीर मामला है : भगत
इस संबंध में विधायक सुखदेव भगत का कहना है कि ये जिम्मेवारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों की थी. उन्हें देखना चाहिए था कि तीन इनफिल्ट्रेशन वेल जब प्राक्कलन में हैं, तो फिर सिर्फ एक का निर्माण क्यों किया गया. नयी जलापूर्ति योजना में कई तकनीकी खामिया भी हैं. यह गंभीर मामला है़ मैं इस पूरे मामले को देख रहा हूं.