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55 लाख की सड़क 55 दिनों में ही ध्वस्त

घोर अनियमितता. दो माह में ही टूटने लगी रामपुर-गोसाइपुर सड़क,जांच के लिए डीएम ने भेजी टीम संवेदक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का मन बना चुके हैं ग्रामीण निगरानी ने भी सड़क को रखा जांच के घेरे में जानकारी के अनुसार निगरानी विभाग के अभियंता प्रमुख सुधीर कुमार दास ने डीएम को पत्र भेज कर […]

घोर अनियमितता. दो माह में ही टूटने लगी रामपुर-गोसाइपुर सड़क,जांच के लिए डीएम ने भेजी टीम

संवेदक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का मन बना चुके हैं ग्रामीण
निगरानी ने भी सड़क को रखा जांच के घेरे में
जानकारी के अनुसार निगरानी विभाग के अभियंता प्रमुख सुधीर कुमार दास ने डीएम को पत्र भेज कर बक्सर के ग्रामीण कार्य प्रमंडल -2 की 29 योजनाओं की जांच पड़ताल करने और जांच दल गठित करने को कहा है. साथ ही गोसाइपुर की सड़क निर्माण की गड़बड़ी को लेकर भेजी गयी ग्रामीणों की शिकायत पर इस सड़क को भी निगरानी ने जांच के दायरे में रखा है.जांच के बाद जो रिपोर्ट टीम द्वारा सौंपा जायेगा, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
रामपुर-गोसाइपुर के ग्रामीण उस समय काफी खुश हुए जब जर्जर सड़क की मरम्मती के लिए सरकारी मटेरियल गिरा. जब सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ, तभी से उसकी गुणवत्ता को लेकर ग्रामीण विरोध करने लगे, लेकिन उस समय कोई नहीं सुना. नतीजन उक्त सड़क दो माह में ही टूटने लगी है़
बक्सर : बक्सर अनुमंडल के चौसा प्रखंड की पलिया पंचायत के रामपुर गोसाइपुर में बनी दो माह पुरानी सड़क अभी से ही टूटने लगी है. उक्त सड़क पर कई जगहों पर दरारें आ गयी हैं. क्षेत्र के ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में गुणवत्ता के सवाल पर सांसद अश्विनी कुमार चौबे से लेकर प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं, मगर मार्च लूट को लेकर यह सड़क किसी तरह बना दी गयी और भुगतान भी ले लिया गया है. आलम यह है कि इस सड़क के मुहाने पर ही कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर दिया था.
बावजूद इसके सड़क को बगल हट कर बना दिया गया और अतिक्रमण ज्यों-का-त्यों छोड़ दिया गया. शहर से 23 किलोमीटर दूर इस सड़क पर स्थानीय सदर विधायक का भी आना-जाना रहता है और प्रशासनिक अधिकारी भी आते-जाते रहते हैं. बावजूद इस सड़क के निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया. निर्माण के बाद 16 जनवरी को सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने भी ग्रामीणों के विरोध के बाद यहां चौपाल लगायी थी.
बावजूद इसके सड़क निर्माण में गड़बड़ी बरतनेवालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. सड़क की गुणवत्ता को लेकर ग्रामीण अब आंदोलन करने और संवेदक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का मन बना चुके हैं.
55 लाख की लागत से बनी थी सड़क : 55 लाख रुपये के प्राक्कलन से पलिया पंचायत के गोसाइपुर पश्चिम छोर से स्व. गजेंद्र प्रसाद चौबे के मंदिर होते हुए मध्य विद्यालय गोसाइपुर तक जानेवाली सड़क बनी थी, जो सड़क करीब आधा किलोमीटर लंबी है. सड़क ग्रामीण कार्य विभाग प्रमंडल एक द्वारा बनवायी गयी है. सड़क निर्माण के समय ही कुछ सड़क विरोधी तबके के लोगों ने मुहाने पर ही अतिक्रमण कर दिया, ताकि सड़क का निर्माण न हो सके.
ग्रामीणों के कहे जाने के बावजूद इस सड़क पर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया. नतीजतन वित्तीय वर्ष को लेकर इस सड़क का निर्माण आनन-फानन में थोड़ा हटकर करा दिया गया और उसे पूरा भी कर दिया गया. अतिक्रमण को लेकर बक्सर सीओ को अतिक्रमण हटाने के लिए जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया था,
मगर एक पक्ष के दबंग होने के कारण सड़क को मोड़ कर कार्य को पूरा कर दिया. दो माह में ही सड़क के टूटने व दरार पड़ने तथा धंसने से सड़क गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गये हैं. हालांकि ग्रामीण कार्य विभाग के एसडीओ हरिशंकर प्रसाद ने सड़क के विरोधों को कम करने और गुणवत्ता के साथ काम कराने का निर्देश भी दिया था. बावजूद इसके काम में गुणवत्ता का पालन नहीं हुआ.
सांसद ने लगायी थी चौपाल : 16 जनवरी को सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने ग्रामीणों द्वारा की गयी सड़क निर्माण की शिकायत पर गांव में जाकर चौपाल लगायी थी. चौपाल में ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता खराब रहने और घटिया निर्माण को लेकर कार्रवाई कराने की मांग की थी. बावजूद इसके आज तक निर्माण करनेवाली एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने मामला प्रकाश में आने के बाद एक अभियंताओं की जांच दल भी सड़क निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए भेजा था, जिसके आलोक में प्रशासनिक कार्रवाई चल रही है.
क्या कहते हैं ग्रामीण और स्थानीय लोग : प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व प्रदेश संगठन सचिव टीएन चौबे ने आरोप लगाया कि गुणवत्ता के सवाल पर जब निर्माणकर्ता ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी से जब पूछताछ की गयी, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सड़क की गुणवत्ता का ख्याल कैसे रखा जा सकता है?
सड़क के प्राक्कलन राशि में से ही लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है. फिर प्राक्कलन की राशि वास्तविक तौर पर घट जाती है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता को बरकरार रखना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि सड़क की गुणवत्ता के सवाल पर ग्रामीण उद्वेलित हैं और संवेदक के लिए प्राथमिकी दर्ज कराने का मन बना चुके हैं.

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