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सिंडिकेट में अफसरों के साथ शामिल थे कुछ रैयत भी
रांची :कोडरमा में भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा देने के नाम पर रैयतों के एकाउंट से करोड़ों रुपये कमीशन के रूप में काटने में शामिल अफसरों और कर्मचारियों के सिंडिकेट में कुछ रैयत भी शामिल थे. इस बात की जानकारी जांच के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों को मिली है. एसीबी के अफसरों के […]
रांची :कोडरमा में भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा देने के नाम पर रैयतों के एकाउंट से करोड़ों रुपये कमीशन के रूप में काटने में शामिल अफसरों और कर्मचारियों के सिंडिकेट में कुछ रैयत भी शामिल थे.
इस बात की जानकारी जांच के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों को मिली है. एसीबी के अफसरों के अनुसार सिर्फ चंदवारा में तीन ऐसे रैयत को चिह्नित किया गया है, जिनके सिंडिकेट में शामिल होने की जानकारी मिली है. इनमें राजेश वर्मा, मो नसीम और बंधन रविदास के नाम शामिल हैं. एसीबी के अफसरों के अनुसार इन तीनों रैयतों की भूमि भी रेलवे लाइन निर्माण के लिए अधिग्रहण की गयी थी.
मो नसीम ने भूमि अधिग्रहण के एवज में मिले मुआवजे की राशि को तीन अक्तूबर 2015 को दो बार और 12 नवंबर, 2015 को एक बार निकाला था. राजेश वर्मा ने भी मुआवजे में मिली राशि को अपने बैंक एकाउंट से पांच अक्तूबर, 2015 को तीन बज कर 47 मिनट नौ सेकेंड पर बैंक से निकाला था. वहीं, दूसरी ओर बंधन रविदास के बारे में एसीबी के अफसरों को यह जानकारी मिली है कि उसने एकाउंट से रुपये नहीं निकाले हैं, लेकिन तीनों के बैंक एकाउंट से कमीशन के रूप में रुपये नहीं काटे गये हैं. इसलिए तीनों की संलिप्तता पर संदेह है. जल्द ही तीनों के खिलाफ एसीबी के अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं.
कुछ दूसरे रैयतों के भी नाम शामिल होने के बारे में एसीबी के अफसरों को जानकारी मिली है. जिनके बारे में गहराई से जानकारी एकत्र की जा रही है. मामले की जांच कर रहे एसीबी के अफसरों के अनुसार मुआवजा घोटाला पहले से सुनियोजित था. इसलिए दूसरे रैयतों से संपर्क करने के लिए नाजिर नवलेश ने तीन रैयतों को अपने एजेंट के रूप में रखा था.
तीनों रैयतों के जरिये ही नाजिर अन्य रैयताें से संपर्क करता था. इसके बाद नाजिर रैयतों को समझाता था कि मुआवजा की रकम साधारण तरीके से मिलना मुश्किल है. मुआवजा की रकम पाने के लिए ऊपर तक अफसरों का रेट तय है. यह कह कर नाजिर रैयतों से बैंक के विथड्रावल फार्म पर दोनाें आेर हस्ताक्षर करवा कर रख लेता था. किस रैयत के एकाउंट से कितना रुपये कमीशन के रूप में काटा जायेगा, इसकी जानकारी नाजिर नवलेश रैयतों को नहीं देता था.
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