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कर्ज और काला धन बड़े शत्रु
भ्रष्टाचार और काले धन पर अन्ना आंदोलन के बाद हुए चुनाव में किसी की सत्ता गयी, तो किसी को सत्ता मिली और एक नयी पार्टी का भी जन्म हुआ. आज भी भ्रष्टाचार, काला धन और बैंकों के बड़े कर्ज का मुद्दा वैसे ही खड़ा है, जो देश की प्रगति में बाधक है. काले धन पर […]
भ्रष्टाचार और काले धन पर अन्ना आंदोलन के बाद हुए चुनाव में किसी की सत्ता गयी, तो किसी को सत्ता मिली और एक नयी पार्टी का भी जन्म हुआ. आज भी भ्रष्टाचार, काला धन और बैंकों के बड़े कर्ज का मुद्दा वैसे ही खड़ा है, जो देश की प्रगति में बाधक है.
काले धन पर अब फिर कुछ नये नामों की बड़ी सूची पनामा की फर्म ने उजागर की है, जिसमें दुनिया की बड़ी हस्तियों के साथ करीब 500 भारतीय हैं. बैंकों के मोटे कर्ज बड़े लोग ही हजम कर चुके हैं. वहीं, छोटे कर्ज लेनेवाले गरीब किसानों और मजदूरों को सताया जाता है. तेजी से हो रहे निजीकरण, केंद्रीकरण, अनियंत्रित जनसंख्या व जनविरोधी नीति से नेता, नौकरशाह व ठेकेदार का गंठजोड़ देश को निचोड़ रहा है. सरकार को सुधार हेतु कड़ाई से सही नीति अपनाने की जरूरत है.
वेद मामूरपुर, नरेला
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