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मानिकाबेड़ा : सात चापाकलों में छह खराब

धालभूमगढ़ : धालभूमगढ़ के मानिकाबेड़ा में सात चापाकल हैं. इसमें से एक ठीक है और छह खराब हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल संकट गहरा गया है. एक चापाकल ठीक है. मगर उसमें से गंदा पानी निकलता है. जो पीने लायक नहीं है. खाना पकाने और नहाने लायक भी नहीं है. गांव में […]

धालभूमगढ़ : धालभूमगढ़ के मानिकाबेड़ा में सात चापाकल हैं. इसमें से एक ठीक है और छह खराब हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल संकट गहरा गया है. एक चापाकल ठीक है. मगर उसमें से गंदा पानी निकलता है. जो पीने लायक नहीं है. खाना पकाने और नहाने लायक भी नहीं है. गांव में तीन कुआं है. एक कुआं का पानी गंदा हो गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर गजानन फेरो प्राइवेट लिमिटेड है.

कंपनी में दो डीप बोरिंग हुई है. इससे चौबीसों घंटे मोटर चलता रहता है. डीप बोरिंग के कारण चापाकल फेल हो गये हैं. कुआं सूख गये हैं. चार साल पूर्व तक गांव में पेयजल समस्या नहीं थी.

मेसर्स गजानन फेरो प्राइवेट लिमिटेड कदम बेड़ा का सीएसआर बजट 250 लाख है. ग्रामीणों के मुताबिक बीते चार साल में कंपनी प्रबंधन पोषक क्षेत्र के गांवों में भौतिक रूप से कुछ खर्च नहीं किया है. बजट में शिक्षा सहयोग में 25 लाख, स्वच्छता और स्वास्थ्य में 25 लाख, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यों के तहत सामुदायिक भवन निर्माण और सांस्कृतिक विकास में 18 लाख, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से प्रशिक्षण, सिंचाई, बुनाई आदि में 12 लाख, स्थानीय निकाय और प्रशासन द्वारा चिन्हित कार्य के लिए 170 लाख दर्शाया गया है. प्रबंधकों ने कहा कि प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है. इसलिए सीएसआर की राशि खर्च नहीं की गयी है.

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