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छात्रवृत्ति घोटाला: आइएफएससी कोड ही चेक कर लिया होता, तो बच जाते 1.38 करोड़ रुपये

पटना केस- 1 बैंक को आरएलएसवाइ हाइस्कूल, पटना के छात्रों के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति के खाते खोलने हैं. कुमार विकास के नाम से एकाउंट है और उस पर 6.48 लाख रुपये ट्रांसफर करना है. राशि भेज दी जाती है लेकिन यह खाता सैदपुर, समस्तीपुर का था. केस- 2 उत्क्रमित मध्य विद्यालय चातर के खाताधारी […]

पटना
केस- 1
बैंक को आरएलएसवाइ हाइस्कूल, पटना के छात्रों के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति के खाते खोलने हैं. कुमार विकास के नाम से एकाउंट है और उस पर 6.48 लाख रुपये ट्रांसफर करना है. राशि भेज दी जाती है लेकिन यह खाता सैदपुर, समस्तीपुर का था.
केस- 2
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चातर के खाताधारी अशोक कुमार को 6.09 लाख रुपये ट्रांसफर होते हैं. खाताधारी अशोक कुमार घोसी के रहने वाले हैं.
केस- 3
मिडिल स्कूल, बेगमपुर के खाताधारी मंटू यादव को 6.02 लाख रुपया भेजे गये. मंटू यादव, जमुई के रहने वाले हैं.
केस- 4
मिडिल स्कूल, सारेन की खाताधारी गिन्नी देवी को 4.48 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये. गिन्नी देवी, बीएमदास रोड, दरभंगा की रहने
वाली है.
ये पांच केस तो सिर्फ बानगी भर हैं. इनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि फर्जी लोगों के खाते में 25 लाख रुपये से ज्यादा की राशि बैंकों द्वारा ट्रांसफर की गयी. पटना में 1.38 करोड़ रुपये के प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में बैंकों की एक बड़ी गलती यह सामने आ रही है कि यदि आइएफएससी कोड यानी इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड चेक नहीं किये गये. अगर, इसकी चेकिंग हुई होती तो गड़बड़ी को शुरुआत में ही रोका जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस कोड से यह आसानी से पता चल जाता है कि बैंक कहां स्थित है.

पटना जिले के स्कूलों की छात्रवृत्ति के पैसे समस्तीपुर, दरभंगा, घोसी, हिलसा के बैंकों में गये. अब कल्याण विभाग उन बैंकों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है जिन्होंने यह लापरवाही की. सभी बैंकों के पदाधिकारियों से सवाल पूछा जा रहा है कि उन्होंने आइएफएससी कोड की जांच क्यों नहीं की. सरकारी राशि की सुरक्षा में लापरवाही बरतने के कारण क्यों दोबारा उनके पास राशि दी जाये?

बैंक सरकारी राशि जमा करवाने के लिए कितनी कड़ी मशक्कत करते रहते हैं. बैंकों के बड़े-बड़े पदाधिकारी जिला स्तरीय अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं, ताकि उनके यहां योजनाओं का पैसा जमा करा
दिया जाये. इसके लिए येन केन प्रकारेण व्यूह रचना भी की जाती है ताकि उनको मिले टारगेट का बड़ा हिस्सा इसी सरकारी राशि से पूरा हो जाये. लेकिन, जब इसी राशि की सुरक्षा करने की बारी आती है तो उनका सारा सिस्टम फेल हो जाता है.
जिला कल्याण पदाधिकारी एसपी चौरसिया ने बताया कि बैंक आइएफएससी कोड चेक कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. हम इस विषय पर उनसे जवाब-तलब कर रहे हैं कि जब उनके पास सिस्टम था तो फिर क्यों नहीं उसके मुताबिक क्रॉसचेक किया गया?
क्या है आइएफएससी कोड
आइएफएससी यानी इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड 11 अंकों का अल्फान्यूमेरिक यूनिक कोड होता है जो हर बैंक की शाखा को प्रदान किया जाता है. इसके शुरूआती चार अंक बैंक को रिप्रजेंट करते हैं और अंतिम के छह कैरेक्टर शाखा के बारे में जानकारी देते हैं कि वह किस जगह पर अवस्थित है. पांचवां अंक जीरो होता है.

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