रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने वर्ष 2014 में गुआ-सलाइ सड़क के तीन से नौ किलोमीटर तक के चौड़ीकरण योजना को प्रशासनिक स्वीकृति दी थी. हालांकि टेंडर तीन से 11 किलोमीटर के लिए निकाला गया. इसमें पांच ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था. टेंडर कमेटी ने जांच-पड़ताल के बाद रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ 75.86 करोड़ की लागत से चौड़ीकरण का काम पूरा करने के लिए एकरारनामा किया.
एकरारनामे के तहत काम को सितंबर 2016 में पूरा करना है. सरकार ने सारंडा जंगल के क्षेत्र से गुजरनेवाली इस सड़क को चौड़ा करने के लिए फाॅरेस्ट क्लियरेंस नहीं लिया. काम शुरू होने के बाद कार्यपालक अभियंता ने सारंडा वन प्रमंडल से पत्राचार शुरू किया. हालांकि सारंडा जंगल के क्षेत्र में सड़क की चौड़ाई 10.2-12.7 मीटर से बढ़ा कर 20-30 मीटर करने की अनुमति नहीं मिली. इससे ठेकेदार ने नवंबर 2015 में काम बंद कर दिया. इससे सड़क चौड़ीकरण योजना पर किया गया 22.5 करोड़ रुपये का खर्च बेकार हो गया. शेष राशि भी डूब ही गयी है और सरकार को नुकसान हुआ है.
इस प्रावधान के आलोक में ठेकेदार ने 30 और 31 जनवरी 2016 को नक्सलियों द्वारा गाड़ियों काे जलाने से हुए नुकसान के लिए सरकार पर तीन करोड़ रुपये का दावा किया है.