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अंबेडकर एक आदर्श या बस एक ‘‘प्रतीक”” : लड़ाई विचारों की या सिर्फ वोटों की?

विष्णु कुमार नयी दिल्ली : 21वीं सदी में राजनीतिकवर्ग के लिए सबसे आकर्षक प्रतीक बन कर उभर रहे हैं बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर. आज उनकी 125 जयंती पर देश में अभूतपूर्व आयोजन हो रहे हैं. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें उनकी जयंती को अपने-अपने ढंग से मना रही हैं. हालांकि सारी बातें भारत रत्न […]



विष्णु कुमार


नयी दिल्ली : 21वीं सदी में राजनीतिकवर्ग के लिए सबसे आकर्षक प्रतीक बन कर उभर रहे हैं बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर. आज उनकी 125 जयंती पर देश में अभूतपूर्व आयोजन हो रहे हैं. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें उनकी जयंती को अपने-अपने ढंग से मना रही हैं. हालांकि सारी बातें भारत रत्न डॉ अंबेडकर के विचारों, आदर्शों व चिंतन पर केंद्रित हैं, लेकिन हकीकत क्या है इस परख तो आम आदमी ही निरपेक्ष भाव से समय आने पर करेगा.


आज अंबेडकर जयंती पर देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में बाबा साहेब के जन्मस्थल महू के कार्यक्रम में शामिल होंगे, तो संसद भवन में उनकी 125 जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर कांग्रेस ने सवाल उठा दिया है. दरअसल, सरकारी रेडियो आकाशवाणी ने भी पार्लियामेंट एनेक्सी में हुए इस आयोजन को ही मुख्य समारोह कहा था, जिसमें विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए, लेकिन प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति ने विरोधियों को ऐसे में मौका दे दिया. एक कार्यक्रम में शामिल होने मुंबई गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को वहीं श्रद्धांजलि दी.


रोहिता वेमुला का परिवार बौद्ध धर्म अपनायेगा


उधर, अंबेडकर जयंती पर आज मुंबई में एक दीक्षा समारोह में दलित छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका व भाई राजा बौद्ध धर्म को ग्रहण कर रहे हैं. जनवरी में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र राेहित वेमुला ने विश्वविद्यालय प्रशासन के कथित उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. नि:संदेह रोहित की मां व भाई का बौद्ध धर्म को अपनाना उनकी उस पीड़ा की अभिव्यक्ति है जो उन्होंने झेला है. पर, रोहिता वेमुला विपक्ष की सिकुड़ी जमीन पर बैठे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए नये प्रतीक हैं, जिसके जरिये वे कांग्रेस के कभी आधार रहे दलिताें का विश्वास हासिल करना चाहते हैं. राहुल रोहित की तुलना बाबा साहेब से करते हैं और यह साबित करने के लिए पूरी ऊर्जा लगा देते हैं कि नरेंद्र मोदी, उनका राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और वैचारिक उदगम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दलित विरोधी हैं और वे वास्तव में मुनवादी हैं.

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मोदी के दावं, संघ-भाजपा के प्रिय अंबेडकर


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीयहजतातेहैं कि डॉ अंबेडकरकेयोगदान व उनकी महानता की कांग्रेस राज में उपेक्षाहीहुई है. यहां तक किमोदीदेश के दूसरे सबसे प्रभावी दलित नेता जगजीवन रामकीभीकांग्रेसद्वारा उपेक्षा करने का आरोप लगा चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले ही महीने 21 मार्च को नयी दिल्ली में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का दिल्ली में आॅनलाइन शिलान्यास किया था. उस दौरान उन्होंने खुद को आंबेडकरभक्त बताया था और बाबा साहेब की तुलना मार्टिन लूथर किंग से की थी. मोदी ने इसी दिन 14 अप्रैल (यानी आज) एनडीए सरकार द्वारा आंबेडकर जयंती पर होने वाले भव्य कार्यक्रमों की रूपरेखा का एलान किया था. मोदी सरकार ने पिछले साल संसद में शीत सत्र के दौरान बाबा साहेब द्वारा रचित भारतीय संविधान पर चर्चा का आयोजन किया था, जिसमें बोलते हुए मोदी ने डॉ आंबेडकर की महानता का जिक्र करते हुए कहा था कि अपनी बात रखने के लिए भी उस महापुरुष कासंदर्भ लेना होता है और सामने वाले की आलोचना के लिए उनके संदर्भ की ही जरूरत पड़ती है.

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मायावती के आरोप


बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व देश की वर्तमान में सबसे बड़ी दलित नेता मायावती ने कांग्रेस और भाजपा के अंबेडकर प्रेम को महज दिखावा बताया है. मायावती ने कहा है कि कांग्रेस ने अंबेडकर के खिलाफ बाबू जगजीवन राम का उपयोग किया और खुद को अंबेडकरवादी कहने वाले नरेंद्र मोदी जगजीवन राम की जयंती मना रहे हैं.

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