कोल्लम : केरल के मंदिर में रविवार को आतिशबाजी के दौरान आग लगने की घटना में अबतक 113 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम का आयोजक भी इसकी चपेट में आ गया, जिसने मंगलवार को एक अस्पताल में दम तोड़ दिया. चिकित्सकों ने इस संबंध में जानकारी दी है. पुत्तिंगल देवी मंदिर में आतिशबाजी का ठेका 67 वर्षीय सुरेंद्रन को दिया गया था जिसने कल यहां मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया.
इससे पहले केरल में पूजा स्थलों के आसपास तेज आवाज वाली आतिशबाजी को मंगलवार को प्रतिबंधित कर दिया गया. वहीं रविवार को पुत्तिंगल मंदिर हादसे के सिलसिले में मंदिर प्रबंधन समिति के सात सदस्यों सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हादसे में 113 लोगों की मौत हुई है. केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक न्यायाधीश के पत्र को जनहित याचिका मानते हुए पूजा स्थलों पर सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक आवाज करने वाली आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए. यह आदेश ऐसे दिन आया है जब राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगाने या नहीं लगाने पर विचार करने के लिए बृहस्पतिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या परावूर मंदिर हादसे की सीबीआई जांच की जरुरत है. इसने आरोपियों के खिलाफ अपराध के सिलसिले में कानून की हल्की धाराएं लगाने के लिए पुलिस से भी नाराजगी जताई और पूछा कि उन पर क्यों नहीं गैर इरादतन हत्या की धाराएं लगाई जा रही हैं. बहरहाल अदालत ने कहा कि दिन के समय विस्फोटकों की आवाज स्वीकार्य सीमा से ज्यादा नहीं हो सकती. त्योहारों के समय में रात के वक्त बिना आवाज वाली आतिशबाजी की जा सकती है.
उच्च न्यायालय ने आशंका जताते हुए पूछा कि क्या रविवार की दुर्घटना में कोई राष्ट्रविरोधी तत्व शामिल था क्योंकि इलाके के चारों तरफ समुद्र है. पुलिस की अति सक्रियता को देखते हुए मंदिर न्यास के अध्यक्ष जयलाल, सचिव जे. कृष्णनकुट्टी और सदस्य शिव प्रसाद, सुरेन्द्रन पिल्लै, रविन्द्रन पिल्लै ने आज तडके अपराध शाखा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. प्रबंधन समिति के दो अन्य सदस्यों सुरेन्द्रनाथन पिल्लै और मुरुगेसन को पुलिस ने मंगलवार सुबह गिरफ्तार कर लिया. मंगलवार की गिरफ्तारी में दो पटाखा ठेकेदारों के यहां काम करने वाले छह मजदूर भी शामिल हैं.