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ते तऽ आंधर हउवे रे बटोहिया दउरा छठी मइया के जाय…
बोकारो : कांच ही बांस के बहंगियां-बहंगी लचकत जाय, होखीं न बलम जी कहरिया-दउरा घाटे पहुंचाय… ते त ऽ आंधर हउवे रे बटोहिया… दउरा छठ मइया के जाय.. छठ घाट सज-धज कर तैयार है. अब व्रतियों का इंतजार है. घाट की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई और रंग-रोगन को सोमवार को अंतिम रूप दिया गया. घाटों पर प्रकाश […]
बोकारो : कांच ही बांस के बहंगियां-बहंगी लचकत जाय, होखीं न बलम जी कहरिया-दउरा घाटे पहुंचाय… ते त ऽ आंधर हउवे रे बटोहिया… दउरा छठ मइया के जाय.. छठ घाट सज-धज कर तैयार है. अब व्रतियों का इंतजार है. घाट की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई और रंग-रोगन को सोमवार को अंतिम रूप दिया गया. घाटों पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था कर दी गयी है. व्रतियों के आने-जाने वाले रास्ते को दुरुस्त कर दिया है. बोकारो के सभी तालाब में पानी भर दिया गया.
सोमवार को व्रतियों ने नेम-निष्ठा के साथ खरना किया. दिन भर उपवास रखा. शाम में विधि-विधान से मिट्टी के चूल्हे पर आम की सूखी लकड़ी को जला कर रोटी व गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार किया. विधिवत पूजा-अर्चना की. फिर, पहले स्वयं प्रसाद ग्रहण किया. उसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.
घर-घर बनेगा मुख्य प्रसाद ठेकुआ : छठ पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ है. व्रती मंगलवार को सुबह स्नान-ध्यान के बाद बहुत ही नेम-निष्ठा के साथ मिट्टी के चूल्हा पर आम की सूखी लकड़ी को जला कर ठेकुआ बनायेंगी. इसमें व्रती का साथ घर-परिवार के साथ-साथ आस-पास की महिलाएं व युवती भी सहयोग करती हैं.
खरीदारी के लिए बाजार में भीड़ : छठ सामग्री की खरीदारी के लिए दुंदीबाद बाजार सहित चास-बोकारो में अन्य बाजारों में सोमवार को भीड़ उमड़ पड़ी. कोई फल की खरीदारी करने में व्यस्त था, तो कोई सूप-दउरा. किसी को ईख चाहिए था, तो किसी को केला का घवद. दुकानों में भी दिन भर लोगों का तांता लगा रहा.
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