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पर्यावरण के लिए बदली राह

नया सोच. गेहूं के डंठल जलाना छोड़ भूसा बना रहे किसान खेतों से काट कर किसान गेहूं को घर में रख रहे हैं. अब किसान गेहूं के डंठल को खेत में नहीं जला रहे हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा है. डंठलों से भूसा बनाने में किसान लगे हैं. पर्यावरण को बचाने में […]

नया सोच. गेहूं के डंठल जलाना छोड़ भूसा बना रहे किसान
खेतों से काट कर किसान गेहूं को घर में रख रहे हैं. अब किसान गेहूं के डंठल को खेत में नहीं जला रहे हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा है. डंठलों से भूसा बनाने में किसान लगे हैं.
पर्यावरण को बचाने में जुटे किसान
बिक्रमगंज (रोहतास) : रबी के फसल खेतों से कट कर खलिहानों में आ रहे हैं. किसान उसकी दवनी-ओसवनी के बाद घर के बखारों (डेहरी) में रखने में मसगुल है. लेकिन, इस बार किसानों ने एक बुरी आदते छोड़ने की बहुत अच्छी पहल की जिससे उनको और उनके खेतों को इसका फायदा मिल रहा है. ऊपर से किसान बहुमूल्य संपदा पर्यावरण को भी बचा रहे है.
इस बदले सोच को समर्थन करते कृषि वैज्ञानिकों का टीम भी किसानों को समय समय पर मार्गदर्शन करते रहते है. गेहूं कटाई के बाद खेतों में बचे गेहूं के डंठल किसानों के लिए समस्या बन जाती थी, जिसे बिना सोचे समझे किसान देखा-देखी में उस डंठल को जला देते थे.
आज भी बहुत से गावों के किसान जलाने की प्रवृत्ति से तौबा नहीं किये है, पर कमी जरूर आयी है. आने वाले समय में अगर किसानों को सही रूप में जागरूक किया गया, तो यह गलत प्रवृत्ति धीरे-धीरे समाप्त को जायेगी. अब किसान बचे डंठलों को भूषा बनाने वाले रोटर मशीन से गेहूं का भूषा बनवा रहे हैं. इससे उन्हें बचत भी होती है और आमदनी भी होती है. यानी आम के आम गुठली के भी दाम.
पशु चारे के लिए खोजा उपाय
रोहतास के किसानों में पशु चारा के प्रति सोच बदल रहा है. हर साल गेहूं के डंठल जलाने वाले किसान नोखा निवासी धनंजय शर्मा कहते है कि जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति मर जाती है, जिससे उत्पादन पर उसका विपरीत असर पड़ता है. पहले खेतों में पड़े डंठल को जला देता था, जब से कृषि वैज्ञानिकों का सलाह मिला और जलाना छोड़ा, तभी से उत्पादन में बढ़ोतरी हो गयी है.
किसान विजय कुमार करमैनी निवासी कहते है कि खेतों में पड़े डंठल को पड़े रहने दें और उसी समय खेतों की बढ़िया से जुताई करें. जुताई ऐसी करें कि ऊपर की मिट्टी नीचे चली जाये और नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाये. इससे खेतो में पड़ा डंठल निचे दबेगा उसके ऊपर मिट्टी पड़ेगी, उसमे सूर्य की धूप से उसकी उत्पादन छमता बढ़ेगी. किसान अर्जुन सिंह, जयप्रकाश संझाैली निवासी कहते हैं कि डंठल ढंकने के बाद हो सके तो उसमें पानी डाल दे और उसे छोड़ दे वह सड़ कर खाद बन जायेगा.
कैसे होगी अच्छी आमदनी
कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज की प्रमुख डॉ रीता सिंह कहती हैं कि किसानों की सोच बदल रही है. किसान अब अच्छे बुरे के साथ बेहतर उत्पादन के लिए नयी-नयी तकनीकों पर विशेष जोर दे रहे हैं. अगर समय रहते किसानों में जागरूकता नहीं आयी, तो उनके खेत उत्पादन घटाने लगेंगे.
इसकी झांकी भी दिखने लगी है अब हर साल उत्पादन बढ़ने के बजाय घट रही है. किसान संपन्न होने के बदले गरीब हो रहे है. खेतों की उत्पादक छमता लगातार घट रही है. किसान खेतो के डंठल को जलाये नहीं उसका भूषा बनवायें. इससे पहली बात की आपको पशु चारा मिलेगा जिसे आप रख कर महंगे दामों पर बेच सकते हैं. 1400 सौ रुपया प्रति ट्रैक्टर भूषा की कटाई लगती है, जिसे 1500 से 2000 में बेच सकते हैं.
उसमें 20 किलो प्रति ट्रैक्टर गेहूं निकलेगा जिसकी कीमत तीन सौ रुपये होगी. यह रकम इतनी तो जरूर हो जायेगी की आप खेतो की मुफ्त में जुताई करा देंगे. जुताई के बाद उस खेतो में मुंग की फसल लगाये जो धान बोआई तक अच्छी आमदनी देगी. इस सब के बदले आपके खेतो की उत्पादन छमता में बेहतर वृद्धि होगी. इससे आपके खेतों में लगने वाले धान व गेहूं की फसल लहलहा जायेंगी और अच्छी पैदावार देंगे. समय-समय पर किसान कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ सलाह ले व बेहतर फसल काट सफल किसान कहाये.

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