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भावपूर्ण लेखनी छाप छोड़ जाती है : राज्यपाल

उपन्यास ‘अंतहीन तलाश’ का लोकार्पण समारोह कोलकाता : डॉ करुणा पांडे के उपन्यास ‘अंतहीन तलाश’ का लोकार्पण समारोह शनिवार को गोर्की सदन में आयोजित किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि एक अच्छा लेखक अपनी लेखनी के जरिये समाज की स्थिति को सही रूप में लोगों तक पहुंचाने […]

उपन्यास ‘अंतहीन तलाश’ का लोकार्पण समारोह
कोलकाता : डॉ करुणा पांडे के उपन्यास ‘अंतहीन तलाश’ का लोकार्पण समारोह शनिवार को गोर्की सदन में आयोजित किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि एक अच्छा लेखक अपनी लेखनी के जरिये समाज की स्थिति को सही रूप में लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता है.
लेखनी सपाट, सुस्पष्ट व सामाजिक भावों को स्पष्ट करनेवाली हो, तो इसका पाठकों पर काफी गहरा असर छोड़ती है. इस उपन्यास में नीना व दीप्ति दो मुख्य पात्रों के माध्यम से जीवन मूल्यों की टूटती कड़ी, दरकते संबंध, प्यार, लगाव, अलगाव, शक सभी पहलुओं को संजीदगी से दिखाया गया है. लेखिका ने इसमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाने की कोशिश की है. डॉ करुणा पांडे की लेखनी भी सपाट है एवं सामाजिक स्थितियों की सच्चाई बयां करती है. उपन्यास में जिस तरह नीना का पात्र दिखाया गया है, उसमें स्त्री के बदलते सोच, उसके भटकाव व अकेलेपन की पीड़ा को दिखाया गया है. नीना अतृप्त है, जो स्वतंत्रता के नाम पर उच्छृंखल बन जाती है. दीप्ति के माध्यम से नारी की आदर्शवादी, करुणामयी व संस्कारी छवि को भी दिखाया गया है.
कार्यक्रम में लेखिका करुणा पांडेय ने कहा कि इस उपन्यास के माध्यम से नारी जीवन के कई अनछुए कोमल भावों को लाने का प्रयास किया है. दीप्ति के माध्यम से नारी की मर्यादा, त्याग, कर्त्तव्य व उसकी महानता को रेखांकित किया है. नारी परिवार की धुरी है.
जब तक हम धुरी को एक स्वतंत्र व सम्माननीय स्थान नहीं देंगे, परिवार का संचालन बिखरता रहेगा. नीना के माध्यम से आज की स्त्री के मॉर्डन विचार, अस्तित्व की सार्थकता व अकेलेपन की त्रासदी का मनोवैज्ञानिक धरातल पर अवलोकन किया है. साथ ही यह संदेश भी दिया है कि सुविधाओं के साथ बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी जरूरी है.
अध्यक्षीय भाषण में पत्रकार गीतेश शर्मा ने कहा कि इस उपन्यास में जीवन की कई पहलुओं को उजागर किया गया है. इसमें प्रथम पन्ने से लेकर आखिरी तक पाठक की रुचि बनी रहेगी. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ विनय पाठक ने कहा कि इस उपन्यास में पूरा जीवन दर्शन दिखाई देता है. शॉर्टकट के चक्कर में स्त्री के भटकाव की स्थिति इसमें दर्शायी गयी है, जिससे काफी कुछ सीखा जा सकता है.
डॉ विद्या बिंदु सिंह ने कहा कि इस उपन्यास में नीना के माध्यम से नारी के बदलते सोच पर सवाल उठाये गये हैं. इसमें बताया गया है कि अतृप्ति का कोई अंत नहीं है. संतोष में ही आनंद है. रचना में कहीं भी नीरसता या छलावा नहीं है. कार्यक्रम में प्रो गीता दूबे, डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी, आरती शर्मा, रवि प्रताप सिंह, प्रेम कूपर, मनोहर हरु मलानी, उत्तम, कैलाश प्रसाद अग्रवाल सहित कई साहित्य प्रेमी शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ राहुल अवस्थी ने किया.

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