नयीदिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बहुलवाद एवं सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता का प्रतीक और विविधता को एक मजबूत तथ्य बताते हुए आज चेतावनी दी कि कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से इसे कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता. नेहरु स्मारक संग्रहालय में दिवंगत कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के सम्मान में मेमोरियल व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुलवादी लोकतंत्र में नागरिकों और खासकर युवकों के मन में सहिष्णुता के मूल्य, विपरीत विचारों का सम्मान और धैर्य स्थापित करना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, बहुलवाद और सहिष्णुता हमारी सभ्यता के प्रतीक रहे हैं. यह मुख्य दर्शन है जिसे निर्बाध जारी रहना चाहिए. क्योंकि, भारत की मजबूती उसकी विविधता में है. राष्ट्रपति ने कहा, हमारे देश की विविधता एक तथ्य है. इसे कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता. हमारे समाज की बहुलता सदियों से विचारों के आपस में जुड़ने से बनी है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी मजबूती सहिष्णुता से ग्रहण करता है. यह सदियों से सामूहिक विवेक का हिस्सा है और यही एकमात्र रास्ता है, जो देश के लिए सही तरीके से काम करेगा.
राष्ट्रपति ने कहा, सार्वजनिक विमर्श में विविध रुख हैं. हम बहस कर सकते हैं. हम सहमत नहीं हो सकते हैं. लेकिन हम विचारों की विविधता को नहीं रोक सकते. अन्यथा हमारी चिंतन प्रक्रिया का मूल चरित्र खत्म हो जाएगा.