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1013 लोग पहुंचे नशामुक्ति केंद्र

शराबबंदी : सबसे अधिक गोपालगंज में ओपीडी में हुआ इलाज बिहार की आवाज झारखंड भी पहुंची पटना : शराबबंदी का असर शराब पीनेवालों पर दिखने लगा है. शराब की लत छुड़ाने के लिए शुक्रवार तक 1013 लोग राज्य के सभी 38 जिलों में स्थापित डिएडिक्शन सेंटर में पहुंचे. इनमें 148 शराबियों काे ओपीडी में इलाज […]

शराबबंदी : सबसे अधिक गोपालगंज में ओपीडी में हुआ इलाज
बिहार की आवाज झारखंड भी पहुंची
पटना : शराबबंदी का असर शराब पीनेवालों पर दिखने लगा है. शराब की लत छुड़ाने के लिए शुक्रवार तक 1013 लोग राज्य के सभी 38 जिलों में स्थापित डिएडिक्शन सेंटर में पहुंचे. इनमें 148 शराबियों काे ओपीडी में इलाज सह परामर्श दिया गया. साथ ही सेंटर पर आनेवाले 20 मरीजों को गंभीर हालत के कारण भरती कर इलाज शुरू किया गया. अभी तक डिएडिक्शन सेंटर में कुल 1013 मरीजों का इलाज किया जा चुका है.
हालांकि, किसी भी सेंटर से मरीजों के चिंताजनक हालत की जानकारी नहीं मिल रही है. राज्य स्वास्थ्य समिति को प्राप्त हुई रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक शराब से पीड़ित 54 लोग ओपीडी में गोपालगंज सेंटर पर इलाज के लिए पहुंचे हैं.
किशनगंज जिले में सबसे कम दो लोग डिएडिक्शन सेंटर पहुंचे. सबसे अधिक 13 भरती होनेवाले मरीजों की संख्या नालंदा जिले में हैं. अभी तक कुल 116 शराबियों को भरती कर इलाज किया जा रहा है. अभी तक अररिया जिला, गोपालगंज, जहानाबाद, कैमूर, खगड़िया, लखीसराय, मधेपुरा, मधुबनी, मुंगेर, रोहतास, सहरसा व शेखपुरा जिलों में एक भी मरीज अभी तक भरती नहीं हुए हैं.
सूचना के अनुसार राज्य के विभिन्न सेंटरों पर ओपीडी में आनेवाले मरीजों में अररिया में चार (भरती-एक), औरंगाबाद में 33 (भरती-दो), बांका में 20 (भरती-चार) , बेगूसराय में 10 (भरती-पांच), भागलपुर में 12 (भर्ती-दो), भोजपुर में 12 (भर्ती-दो), बक्सर में 33(भर्ती-छह) , दरभंगा में 20 (भरती-सात), गया में 26 (भरती-सात), गोपालगंज में 54, जमुई में 12 (भरती-एक) , जहानाबाद में 15, कैमूर में 11, कटिहार में 12, किशनगंज में दो(भरती-दो) , लखीसराय में 11, मधेपुरा में आठ, मुंगेर में 15, मुजफ्फरपुर में 40 (भरती-छह), नालंदा में 71 (भरती-13) , नवादा में 32 (भरती-तीन), पूर्वी चंपारण में 39(भरती-चार) , पटना में 48 (भरती-11) , रोहतास में सात, पूर्णिया में 23 (भरती-तीन) , सहरसा में सात, समस्तीपुर में 41 (भर्ती-चार), सारण में 17, शेखपुरा में आठ, शिवहर में 14 (भरती-छह), सीतामढ़ी में 28 (भरती-एक) , सीवान में 76(भरती-10) , सुपौल में 28(भरती-दो) , वैशीली में 11 (भरती-दो) शामिल हैं.
बहरागोड़ा (जमशेदपुर). पूर्वी िसंहभूम िजले के बहरागोड़ा के कालियाडिंगा, रजलाबांध व जागधा गांव की महिलाओं ने शराब के िखलाफ जागरूकता रैली निकाली. रैली के बाद महिलाओं ने एक बैठक की. उन्होंने कहा कि शराब भट्ठियों के बारे में पुलिस को लिखित जानकारी दी जायेगी. पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो महिलाएं एकजुट होकर शराब भट्ठियों को उखाड़ फेंकेंगी.
विदेशी शराब पर खत्म हो सकता है निर्यात टैक्स
पटना : पूर्ण शराबबंदी से राज्य में विदेशी शराब के बॉटलिंग प्लांटों पर संकट आ गया है. इसलिए उत्पाद विभाग यहां तैयार विदेशी शराबों को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए निर्यात शुल्क खत्म करने पर विचार कर रहा है.
इससे संबंधित विशेष नीति तैयार करने की कवायद शुरू हो गयी है. राज्य सरकार की मुहर लगने के बाद यह पूरी तरह से लागू हो जायेगा. नयी व्यवस्था से राज्य में मौजूद बॉटलिंग प्लांटों को काफी राहत मिलेगी. साथ इन्हें दूसरे राज्यों में शराब भेजने में काफी आसानी होगी.
शराबबंदी लागू होने के बाद राज्य में मौजूद बॉटलिंग प्लांटों को बंद करने का फिलहाल कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है. इस कारण इन प्लांटों के सामने यह दूसरे राज्यों में अपनी शराब को भेज कर खपत करने की चुनौती काफी बढ़ गयी है.
अभी इतनी लगती है निर्यात शुल्क : मौजूदा समय में बिहार में उत्पादित होनेवाली विदेशी शराब का करीब 80-85 फीसदी हिस्सा यहीं खपत होता था. दूसरे राज्यों में यहां से तैयार होनेवाली शराब को भेजना अभी महंगा है, क्योंकि इस पर बिहार सरकार को निर्यात शुल्क और संबंधित राज्य में आयात शुल्क देना पड़ता है.
इस तरह एक शराब पर दो शुल्क लगने के कारण इसकी कीमत काफी बढ़ जाती है. राज्य का उत्पाद विभाग अभी बियर पर 1.5 रुपये प्रति लीटर और अन्य विदेशी शराबों पर 8 से 10 रुपये प्रति लीटर निर्यात शुल्क वसूलता है. इस शुल्क के समाप्त होने से बॉटलिंग प्लांटों को काफी राहत मिलेगी. दूसरे राज्यों में शराब का निर्यात करने पर भी इसकी कीमत में बहुत का अंतर नहीं पड़ेगा.
राज्य में हैं 12 बॉटलिंग प्लांट : वर्तमान में बिहार में 12 बॉटलिंग प्लांट हैं. सबसे ज्यादा पटना जिले में नौ और सीवान, औरंगाबाद व सीतामढ़ी में एक-एक प्लांट हैं. इन प्लांटों में अलग-अलग ब्रांडों की शराब तैयार और पैकेजिंग होती है. हालांकि, कई प्रीमियम क्वालिटी की स्कॉच और व्हिस्की यहां तैयार नहीं होती है.

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