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प्रेशर हॉर्न : मजा कम खतरा ज्यादा::::संपादित

प्रेशर हॉर्न : मजा कम खतरा ज्यादा::::संपादितयुवाओं में कई तरह के जुनून होते हैं. किसी को पढ़ने का जुनून होता है तो किसी को खेल का नशा. कोई संगीत और थियेटर की दुनिया में नाम कमाने के लिए हद तक गुजर जाता है. किसी में नये-नये प्रयोग करने का जुनून होता है. कई में ‘धूम’ […]

प्रेशर हॉर्न : मजा कम खतरा ज्यादा::::संपादितयुवाओं में कई तरह के जुनून होते हैं. किसी को पढ़ने का जुनून होता है तो किसी को खेल का नशा. कोई संगीत और थियेटर की दुनिया में नाम कमाने के लिए हद तक गुजर जाता है. किसी में नये-नये प्रयोग करने का जुनून होता है. कई में ‘धूम’ सी बाइक चलाने का जुनून होता है. कुछ को फास्ट बाइक के साथ-साथ हॉर्न भी लाउड रखने का शौक होता है. उन्हें कंपनी की तरफ से गाड़ी में दी गयी कम आवाज वाला हॉर्न शायद पसंद नहीं होता. वह इसे हटाकर अपने पसंद का लाउड हॉर्न लगा लेते हैं. और सड़क पर गाड़ी की तेज गति के साथ-साथ हॉर्न की आवाज भी तेज हो जाती है. बाइक में लगने वाले लाउड या प्रेशर हॉर्न की दीवानगी को सामने रखती लाइफ @ जमशेदपुर की रिपोर्ट.—————प्रेशर हॉर्न के क्रेजी हैं युवासाकची में कार व बाइक के पार्ट्स विक्रेता दबिंदर सिंह बताते हैं कि युवाओं में अपनी बाइक में हैवी साउंड हॉर्न लगाने का क्रेज रहा है. इस समय बाजार में कई प्रेशर या हैवी साउंड हॉर्न मिल रहे हैं. क्रेजी युवा इसे पसंद करते हैं. वह बताते हैं कि इसे बाइक में लगाना काफी आसान है. गाड़ी में कंपनी की तरफ से लगे हॉर्न को खोलकर उसकी जगह पर प्रेशर हॉर्न लगा दिया जाता है. कई तरह के होते हैं लाउड हॉर्नलाउड हॉर्न में मेगासोनी हॉर्न काफी पॉपुलर है. यह प्राय: स्कॉर्पियो जैसी बड़ी गाड़ी में लगाने के लिए लोग लेते हैं. लेकिन, युवा इसे बाइक में लगाते हैं. दुकानदारों की मानें तो यह ऐसा हॉर्न है, जिसे अचानक बजा देने पर व्यक्ति डर जाता है. ऐसा करने में यूथ को मजा आता है. यह हॉर्न रूट्स, मिंडा, हेला जैसी कंपनियां बनाती हैं. इन्हीं कंपनी का प्रेशर हॉर्न आता है. इसमें दो पाइप लगी होती है. इसे प्राय: ट्रक में इस्तेमाल किया जाता है. भाइब्रोसोनिक हॉर्न भी अधिकतर कार और जीप में लगते हैं. यह हॉर्न भी बाइक में लगता है. पों-पों की इको आवाज में विंडटोन हॉर्न आता है. यह हॉर्न भी बड़ी गाड़ी में ही अधिक लगाये जाते हैं. बाइक के लिए भी इस हॉर्न का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है. इको की वजह से यह आवाज देर तक सुनायी देती है. इसी तरह से सुपर साउंड में के-125 और भाइब्रो मिनी हॉर्न आता है. लाउड डन-डन की आवाज में विप्रोसोनिक हॉर्न आता है. जलवा हॉर्न कार में लग कर आता है. इससे पों की आवाज आती है.कभी इसकी थी मांगथ्री पाइप हॉर्न का चलन अब कम हो गया है. एक समय में युवा इसके क्रेजी हुआ करते थे. दुकानदारों के मुताबिक पहले कंप्रेशर हॉर्न भी आता था. अब यह बंद हो गया है. इसमें कंप्रेशर किट लगी होती थी. हूटर हॉर्न भी बंद हो गया है. इससे कुत्ते की आवाज आती थी. इसी तरह से लड़की के रोने की आवाज वाले हॉर्न, बॉलीवुड गाने की आवाज वाले हॉर्न भी आते थे.दोगुना खर्च होती है बैट्रीदुकानदारों की मानें तो साधारण हॉर्न की तुलना प्रेशर हॉर्न में दोगुनी बैट्री खर्च होती है. लेकिन, युवा इसकी फिक्र कहां करने वाले. कई युवा एक ही हॉर्न में कई तरह की आवाज का मजा लेते हैं. इसके लिए हॉर्न में चेंजर लगाया जाता है. इससे दो-चार आवाज में हॉर्न बजता है. ऐसा भी नहीं है कि युवा बाइक की बैट्री की खपत पर ध्यान नहीं देते. वह बैट्री बचाने के लिए इसमें रिले लगा लेते हैं.—————————–रिस्क लेने में आता है मजाकुछ युवाओं को रिस्क लेने में मजा आता है. टाटा मेन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ मनोज साहू के मुताबिक कुछ युवाओं के स्वभाव में यह होता है. वह बताते हैं कि यूथ को जोखिम लेने वाला व्यवहार अच्छा लगता है. इसका मुख्य उद्देश्य राह चलते लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना है. हद तक यह भी सच है कि युवा स्पीड में गाड़ी चलाते हैं, इसलिए उन्हें सड़क खाली चाहिए. शायद इसलिए वह प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करते हैं.कान के लिए खतरे की घंटीप्रेशर हॉर्न से युवाओं को मजा आता हो, लेकिन इससे दूसरों की परेशानी बढ़ जाती है. इसकी वजह से सबसे अधिक नुकसान कान को होता है. नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ केपी दुबे बताते हैं कि ऐसे हॉर्न से हेयर सेल के नष्ट होने का खतरा रहता है. वह समझाते हैं कि हेयर सेल का काम साउंड एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलना है. यह कान के सेंसरी भाग कोकलिया के अंदर होता है. यहां साउंड एनर्जी आने से जल की तरह से हेयर सेल में मूवमेंट होता है. इससे इलेक्ट्रिकल इंपल्स जेनरेट होता है, जो ब्रेन तक पहुंचता है. हेयर सेल एक सीमा तक की आवाज ही ग्रहण कर सकता है या सह सकता है. प्रेशर हॉर्न हेयर सेल को डैमेज करता है. इससे इलेक्ट्रिकल इंपल्स की क्षमता कम हो जाती है. स्वाभाविक रूप से सुनने की शक्ति कम हो जाती है. वह बताते हैं कि 120 डेसीबेल से ऊपर की आवाज को अगर 15 से 30 मिनट तक सुन लिया जाये तो व्यक्ति हमेशा के लिए बहरा हो सकता है.हो सकती है स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियांवर्कर्स कॉलेज के भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार बताते हैं कि 60 से 80 डेसीबेल तक की आवाज अच्छी मानी जाती है. यह आवाज स्पष्ट सुनायी देती है. एक अनुमान के मुताबिक प्रेशर हॉर्न में 110 से 120 डेसीबेल तक आवाज आती है. जो सुनने की सीमा से ऊपर है. इससे व्यक्ति संतुलन खो सकता है. ब्लड प्रेशर पर असर पड़ सकता है, स्मरण शक्ति कम हो सकती है. चिड़चिड़ापन आ सकता है. ध्वनि प्रदूषण में गाड़ियों की बड़ी भूमिका है.कोटकोई भी व्यक्ति गाड़ी में प्रेशर हॉर्न नहीं लगा सकता है. प्रेशर हॉर्न पकड़ में आने पर हॉर्न खोल लिया जाता है और व्यक्ति पर फाइन किया जाता है. यह नियम केवल बाइक के साथ नहीं है. छोटी हो या बड़ी किसी भी गाड़ी में प्रेशर हॉर्न लगाना मना है.-विवेकानंद ठाकुर, ट्रैफिक डीएसपीबॉक्सकुछ प्रेशर हॉर्न जो युवाओं को हैं पसंदमेगासोनी हॉर्न, भाइब्रोसोनिक हॉर्न, विंडटोन हॉर्न, के-125, भाइब्रो मिनी हॉर्न, विप्रोसोनिक हॉर्न

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