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हड़ताल के 40 दिन, सर्राफा कारोबार में हाहाकार

हड़ताल के 40 दिन, सर्राफा कारोबार में हाहाकार फोटो – मधेपुरा 03 कैप्शन – जिला मुख्यालय के मुख्य बाजार स्थित एक करीगर के मायूस परिजन फोटो – मधपुरा – 01 ,02, 04, 05, 06, 07, 08, 09कैप्शन – खस्ताहाल होने लगे हैं सर्राफा बाजार के करीगर – नयी उत्पाद नीति . बंद व्यवसाय के कारण […]

हड़ताल के 40 दिन, सर्राफा कारोबार में हाहाकार फोटो – मधेपुरा 03 कैप्शन – जिला मुख्यालय के मुख्य बाजार स्थित एक करीगर के मायूस परिजन फोटो – मधपुरा – 01 ,02, 04, 05, 06, 07, 08, 09कैप्शन – खस्ताहाल होने लगे हैं सर्राफा बाजार के करीगर – नयी उत्पाद नीति . बंद व्यवसाय के कारण कारीगरों के सामने आजीविका का संकट – लोग अपनी बहन-बेटी की सगाई के लिए हो रहे हैं परेशान, एक अदद अंगूठी के लिए पूरे दिन हैं भटकते—- इंट्रो ::::::::::::सर्राफा कारोबारी एक माह से भी अधिक समय से हड़ताल पर हैं. शादी विवाह के इस मौसम में कन्यादान करने वाले लोगों को जेवर आदि के लिए परेशान होना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर इस हड़ताल का अधिक असर आभूषण निर्माण करने वाले कारीगर पर रहा है. एक महीने से भी अधिक समय से बंद व्यवसाय के कारण इन कारीगरों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है. वे रोज सुबह उठ कर इस आशा के साथ अपनी दुकान के समीप जाते हैं कि शायद आज हड़ताल खत्म हो गयी हो, लेकिन अनवरत जारी हड़ताल की बात सुनकर मुंह लटकाये लौट आते हैं. स्थिति ऐसी है कि ये कारीगर चाह कर भी दूसरा कोई काम नहीं कर सकते हैं. रूपेश कुमार, मधेपुराजिला मुख्यालय के एक ज्वैलरी की दुकान में पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में ‘श्रीरामपुर’ गांव के रहने वाले गोविंदो उर्फ गौर आदोक ने नब्बे के दशक में घर से भागकर मधेपुरा का रूख किया था. यहां उन्होंने कई ज्वैलरी दुकानों में सालों बतौर कारीगर काम किया. इनके साथ बंगाल से आए कई कारीगर भी दिन – रात मेहनत किया करते और एक छोटे से कमरे में रहा करते थे. आलू और भात खाकर जीवन जीने वाले गोविंदो ने लंबे वक़्त के संघर्ष और छोटी-छोटी बचत कर ज़िंदगी को आगे बढ़ाया. सालों बाद उन्होंने कुछ कारोबारियों से आर्थिक मदद लेकर अपना कारखाना खोला. इस कारखाने में शहर भर के नामचीन ज्वैलर्स आर्डर के हिसाब से नये डिजाइन के आभूषण तैयार करवाते हैं. कारीगरी का हुनर काम आया और ज़िंदगी ढर्रे पर आई. गोविंदो की दुकान पिछले 40 दिनों से नहीं खुली है. वह हर दिन अपनी दुकान के चक्कर लगाते हैं और शाम को मायूस अपने घर लौट आते हैं. कई बार कारोबारियों के धरना-प्रदर्शन में शरीक भी हुए लेकिन इन्हें जिस ख़बर का इंतज़ार है वो अभी तक नहीं आई है. वो बार-बार ये सवाल करते हैं कि आखिर मौजूदा सरकार सर्राफ़ा कारोबारियों पर एक्साइज ड्यूटी का डंडा क्यों चला रही है? उनके साथ ही मधेपुरा सहित तमाम जैवलरी कारोबारी और कारीगर भी सरकार के इस रवैये से हैरान-परेशान हैं. कारोबारी संगठनों का कहना है कि जिस सरकार को अपना मददगार समझ कर सत्ता तक पहुंचाया, वहीं सरकार अब उनकी रोजी-रोटी की दुश्मन बन गई है. करीगर प्रभांत कुमार, नंदन कुमार, निरज कुमार, रौशन कुमार, विकास कमार, नीतीश कुमार, राजा कुमार स्वर्णकार बाबुल कुमार, गुड्डी कुमार की हालत खस्ता हो चली है. आजाद टोला निवासी स्वर्ण आभूषण कारिगर आनंद कुमार सात हजार रूपये मासिक मजदूरी पर एक दुकान में नौकरी करते है. आनंद के पिता श्यामल स्वर्णकार हृदय रोग से पीड़ित होकर बिस्तर पर है. आनंद अपने मजदूरी के पैसे से गुजारा के साथ – साथ पिता की दवाई का प्रबंध भी करता है. लेकिन हड़ताल के कारण बेरोजगार हुए और अब आजीविका के साथ – साथ पिता के दवाई की चिंता भी परेशान कर रही है. ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रदर्शन की एक तस्वीर कारोबारियों के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी से इंस्पेक्टर राज की धमक फिर से कायम हो जायेगी. प्रधानमंत्री मोदी बार-बार तमाम मंचों से इंस्पेक्टर राज ख़त्म करने की बात कर रहे हैं, तो फिर वो सर्राफ़ा कारोबार को इस मुसीबत में क्यों धकेल रहे हैं. ‘मेक इन इंडिया’ के बाजीगर ने गोल्ड कारीगरों के ‘मेक इन इंडिया’ प्लान के सपने को ही ख़तरे में डाल दिया है. — सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल एक नजर में — — 40 दिनों से चल रही है सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल— बजट में एक्साइज ड्यूटी के ख़िलाफ़ चल रही है हड़ताल— दो मार्च के बाद सर्राफा कारोबारियों ने नहीं खोली दुकानें — सर्राफा कारोबारियों की मांग-एक्साइज ड्यूटी हटाए सरकार— एक्साइज ड्यूटी से इंस्पेक्टर राज आने का डर — एक्साइज ड्यूटी से सोने में आम लोगों का निवेश कम होने का डर — खदान से ग्राहक तक पहुंचने में 10 बार कारीगर की जरूरत होती है, हर बार एक फ़ीसदी एक्साइज ड्यूटी से गोल्ड ज्वैलरी के दाम काफी बढ़ जायेंगे. — कारोबारियों की मांग एक्साइज ड्यूटी की बजाय वर्तमान टैक्स में ही बढ़ोतरी के विकल्प पर हो बात— सरकार की दलील- सर्राफा बाज़ार के काले धन पर लगेगी लगाम— गोल्ड बॉन्ड योजना की नाकामी की भरपाई के लिए एक्साइज ड्यूटी का दांव — स्टार्ट अप के दौर में छोटे सर्राफ़ा कारोबारियों को इससे नुकसान का डरलोग हो रहे हैं परेशान हालात यह है कि कई लोग अपनी बहन-बेटी की सगाई के लिए परेशान हो रहे हैं. वे एक अदद अंगुठी खरीदने के लिए पूरे दिन भटकते हैं. लेकिन कोई दुकान नहीं खुली है. ज्वैलर्स एसोसिएशन का संगठन इतना मजबूत है कि कोई कारोबारी दुकान खोलने का रिस्क नहीं उठा सकता. दुकान खोलने पर एसोसिएशन की तरफ से चालान का डर रहता है. ऐसे में बेहद करीबी लोगों के लिए भी कारोबारी कोई फेवर नहीं कर पा रहे हैं. शादी विवाह और अन्य जरूरत के वक़्त इस हड़ताल से ग्राहक भी परेशान हैं. एक्साइज ड्यूटी भी बन सकती है मुसीबत जानकारों की माने तो ग्राहकों के लिए भी एक्साइज ड्यूटी मुसीबत बन सकती है. खास कर तब, जब वो पुरानी गोल्ड ज्वैलरी में कोई बदलाव कराने दुकानदार के पास पहुंचते हैं. उन्हें ऐसे गोल्ड की रसीद दिखानी होगी या फिर उन्हें एक्साइज ड्यूटी चुकानी होगी. ये उन पर एक अतिरिक्त भार रहेगा. ऐसे में कई बार वो मन मार कर पुराने डिजाइन की ज्वैलरी से ही काम चलाने को बाध्य हो जायेंगे. वहीं, ग्राहकों का कहना है कि हॉलमार्क ज्वैलरी वक़्त की जरूरत है और कारोबारियों को ये शर्त हटाने की मांग छोड़ देनी चाहिये. ज्वैलर्स का कहना है कि हॉलमार्क से उनके लिए भाग-दौड़ बढ़ जाती है. छोटे दुकानदारों की शिकायत ये भी है कि ग्राहक हॉलमार्क ज्वैलरी तो चाहते हैं लेकिन इसका अतिरिक्त शुल्क वो देना पसंद नहीं करते. बहरहाल सर्राफा कारोबारियों की इस लंबी खिंचती हड़ताल से ग्राहक और कारोबारी दोनों ही परेशान हैं. सरकार के सुस्त रवैये की वजह से विरोधी दलों को शिकायत का मौका मिल गया है. प्रदर्शनों में ‘हमारी एक ही भूल, कमल का फूल’ और ‘मोदी का बेड़ा गर्क करेंगे- जेटली, जेटली’ जैसे नारे गूंजने लगे हैं. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बीएसपी और जेडीयू जैसे बड़े सियासी दल सरकार की मुखालफ़त में मोर्चाबंदी कर रहे हैं. सरकार की मुसीबत ये है कि अब उनके सहयोगी दलों ने भी सख़्त रूख अख्तियार कर लिया है. कहते हैं जिलाध्यक्ष फोटो – मधेपुरा 10 जिला स्वर्णकार संघ के अध्यक्ष इंद्रदेव स्वर्णकार करीगरों की पीड़ा से व्यथित हो कर कहते हैं कि करीब 30 लाख कारीगर अकेले बंगाल से इस सेक्टर में काम कर रहे हैं. पांच से दस हजार रूपये प्रति माह की दर से कमाने वाले इन गोल्ड लेबर्स पर भी फिलहाल रोजी-रोटी का संकट बना हुआ है. हड़ताल के लंबा खींचने से कारोबारियों को तो ज़्यादा असर नहीं पड़ रहा लेकिन कारीगरों के घरों का चूल्हा जलना मुश्किल हो रहा है. ग्राहकों के साथ – साथ दुकानदार को भी परेशानी में डालने वाले इस टैक्स के हटने तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार को अविलंब इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए ताकि शादी ब्याह के इस मौसम में लोगों को परेशानी न हो और दुकानदार भी व्यापार कर सकें. सोशल मीडिया पर भी हड़ताल चर्चित सर्राफा बाजार के इस हड़ताल को लेकर सोशल मीडिया में चुटकुले भी वायरल हो गये हैं. व्हाट्सएप पर तो चुटकुलों का दौर चल पड़ा है. एक बानगी- ‘एक सब्जी वाला जब सब्जी तौल रहा था तो खरीदार ने कहा कि भाई तुम तो सब्जी ऐसे तौल रहे हो जैसे सोना हो… इस पर सब्जी विक्रेता ने कहा.. भाई रूलाओगे क्या? मैं सोनार ही हूं.’ ऐसे ही अनगिनत चुटकुले ज्वैलर्स को लेकर बनाये जा रहे हैं. वहीं फेसबुक पर व्यंग्य चित्र का भी दौर चल रहा है. शुभ लग्न आयी, पर मंगलसूत्र बिना कैसे बजेगी शहनाईमधेपुरा. खरमास के समाप्ति के बाद 13 अप्रैल की रात से लग्न प्रारंभ हो जाएगा. इसके साथ ही शादी-ब्याह सहित कई मांगलिक कार्य भी होने लगेंगे. अप्रैल माह में 16 से 20 , 22 फिर 24 से 29 अप्रैल तक शुभ लग्न होने के कारण बैंड व बाजा का शोर चारों ओर सुनाई देने लगेगा. यदि समय रहे स्वर्णकारों व सरकार के बीच वार्ता नहीं हुई तो कहीं बगैर मंगलसूत्र के ही लोग शहनाई न बजा दे. 11 मार्च से एक अप्रैल तक खरमास रहने के कारण स्वर्ण व्यवसायियों के यहां भीड़ नहीं थी लेकिन अब दुल्हन का क्या होगा. क्या वे बिना गहनों के ही उनकी शादी होगी. क्या बाबुल बगैर मंगलसूत्र दिये ही अपने बेटी को ससुराल भेजेंगे. मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा सर्राफा में अतिरिक्त कर की बढ़ोत्तरी के कारण सर्राफा व्यवसाईयो का हड़ताल करीब 35 दिनों से जारी है. इसके कारण स्वर्ण व्यवसाई अपने-अपने प्रतिष्ठान को सरचार्ज वापस लेने तक बंद करने पर अडिग हैं. इसका असर शादी ब्याह व अन्य मांगलिक कार्यों पर पड़ने के आसार हैं. अप्रैल, मई व जून महीने में शादी के अलावा उपनयन व मुंडन का शुभ लग्न है.

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