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स्वच्छता के अभाव में डायरिया से प्रतिवर्ष मर रहे हैं चार हजार बच्चे : डॉ मधुलिका

स्वच्छता के अभाव में डायरिया से प्रतिवर्ष मर रहे हैं चार हजार बच्चे : डॉ मधुलिका (आवश्यक,तसवीर कौशिक के पास) मुख्य संवाददाता, रांची यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ मधुलिका जोनाथन ने कहा है कि झारखंड में स्वच्छता का अभाव व जागरूकता की कमी से प्रतिवर्ष चार हजार बच्चे डायरिया से मर रहे हैं. लोग अगर […]

स्वच्छता के अभाव में डायरिया से प्रतिवर्ष मर रहे हैं चार हजार बच्चे : डॉ मधुलिका (आवश्यक,तसवीर कौशिक के पास) मुख्य संवाददाता, रांची यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ मधुलिका जोनाथन ने कहा है कि झारखंड में स्वच्छता का अभाव व जागरूकता की कमी से प्रतिवर्ष चार हजार बच्चे डायरिया से मर रहे हैं. लोग अगर जागरूक हो जायें, तो हम इन बच्चों को बचा सकते हैं. इतना ही नहीं स्वच्छ नहीं रहने से राज्य के 80 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं. साथ ही 70 प्रतिशत किशोर बालक व बालिका भी एनीमिया की चपेट में हैं. डॉ जोनाथन शुक्रवार को प्रभात खबर के कोकर स्थित कार्यालय सभागार में मीडिया वर्कशॉप में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि राज्य के 47 प्रतिशत लोग नाटा (छोटा कद) हो रहे हैं. शोध से पता चला है कि इसका प्रमुख कारण भी स्वच्छता है. स्वच्छ नहीं रहने से मलेरिया भी विकराल रूप धारण कर रहा है. खुले में शौच करने से कई बीमारियां होती हैं. इन शौच पर मक्खियां बैठती हैं अौर फिर वे खाने आदि पर बैठ कर लोगों के पेट के अंदर बैक्टीरिया पहुंचाती है. इससे व्यक्ति बीमार होता है अौर ठीक होने के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोग खुद जागरूक हों अौर लोगों को भी जागरूक करें. यूनिसेफ के ही वाटर सेनिटेशन एंड हाइजिन स्पेशलिस्ट कुमार प्रेमचंद ने कहा कि शौचालय अभियान तभी सफल होगा, जब महिला-पुरुष के साथ-साथ बच्चे भी इसका समुचित उपयोग करें. 500 रुपये से शौचालय निर्माण की राशि बढ़ कर अब 12 हजार रुपये तक पहुंच गयी है. यूनिसेफ हर गांव, पंचायत, टोला में शौचालय निर्माण के लिए अभियान चला रहा है. लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. अभी भी लोगों की मानसिकता खुले में शौच करने से नहीं बदली है. उन्हें बताना पड़ रहा है कि थोड़ी से लापरवाही से जीवन में नुकसान उठाना पड़ रहा है. शौचालय निर्माण में कई एनजीअो लगे हुए हैं, जो गलत है. कोई भी व्यक्ति सीधे इस योजना से जुड़ कर 12 हजार रुपये प्राप्त कर सकता है. कई लोग यह जानते हैं कि 12 हजार रुपये में ही शौचालय बनाना है, जबकि 12 हजार तो प्रोत्साहन राशि है. इसमें स्वयं भी राशि लगा कर अच्छा शौचालय का निर्माण करा सकते हैं. राज्य में नौ लाख शौचालय का पता ही नहीं है, जबकि इस एवज में राशि निर्गत हो चुकी है. यह गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि आज भी दो करोड़ लोग खुले में शौच कर रहे हैं. वर्ष 2016-17 में 75 ब्लॉक व एक हजार पंचायत को खुले शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य है. इस वर्कशॉप को वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने भी संबोधित किया. इससे पूर्व यूनिसेफ की कम्यूनिकेशन अॉफिसर मोइरा दावा ने कार्यक्रम का संचालन किया. आगंतुकों का स्वागत विनय भूषण व धन्यवाद ज्ञापन अनुज कुमार सिन्हा ने किया.

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