परीक्षा में सख्ती पर परीक्षार्थी उठा रहे सवालकहा, कॉलेज में पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह से हो गया समाप्त, प्रशासन को पहले पढ़ाई के लिए करना चाहिए पहल कॉलेज प्रशासन के दावे, विद्यार्थी ही कैंपस में पढ़ाई के लिए नहीं आना चाहते फोटो-नवादा/5कैप्शन-छात्र और प्राचार्य प्रतिनिधि4नवादा(नगर)इंटर व मैट्रिक परीक्षा को कदाचारमुक्त कराने के बाद जिला प्रशासन का सकारात्मक प्रयास कदाचारमुक्त परीक्षा संपन्न कराने को लेकर लगातार दिख रहा है. प्रशासनिक पहल के बाद जिला में होनेवाले कई अन्य परीक्षाओं में सख्ती का असर देखने को मिल रहा है. मुख्यालय में आयोजित हो रहे बीए पार्ट थर्ड की परीक्षा में भी प्रशासन के कड़ाई का असर दिख रहा है. जिला मुख्यालय में पांच व वारिसलीगंज में बनाये गये दाे परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. परीक्षा में कड़ा ई का आलम यह है कि रामलखन सिंह यादव कॉलेज से तीन परीक्षार्थियों को नकल करते हुए परीक्षा से निष्कासित भी किया गया है. परीक्षा में सख्ती पर कई छात्र-छात्राओं ने कहा कि कॉलेज में पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह से समाप्त हो गया है. इसे शुरू किये जाने के बजाय परीक्षा में कदाचार को रोक कर बेहतर शिक्षा व्यवस्था की बात नहीं की जा सकती है. इस संबंध में कॉलेज प्रशासक का दावा है कि विद्यार्थी ही कैंपस में पढ़ाई के लिए आना नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि शिक्षक सुबह से शाम तक रहने के बाद बिना पढ़ाई के लिए लौट जाते हैं. उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने को लेकर विद्यार्थी पक्ष व कॉलेज प्रशासन के अपने-अपने दावे हैं. प्रभात खबर में इन दावों को समझने का प्रयास किया है. क्या कहते हैं विद्यार्थीकॉलेज में पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह से समाप्त है. पढ़ाई के नाम पर एक भी क्लास नहीं होता है. केवल कॉलेज नामांकन लेने व फॉर्म भरने का केंद्र बन कर रह गया है. इस समय भी मनमाने तरीके से रसीद से अधिक राशि ली जाती है. परीक्षा को निश्चित तौर से कदाचारमुक्त लेना चाहिए. लेकिन इसके पहले नियमित रूप से कॉलेज में पढ़ाई भी जरूर कराया जाये. बबलू कुमारकॉलेज में एडमिशन लेने के बाद पता चला कि विषय के एक भी शिक्षक कार्यरत ही नहीं हैं. कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. विद्यार्थी कॉलेज जाएं व पढ़ाई ही नहीं हो तो कैसे काम चलेगा. पढ़ाई के लिए जो सुविधाएं होनी चाहिए. उसका घोर अभाव है. पढ़ाई के नाम पर एक दिन भी क्लास नहीं हुआ है.गुड़िया कुमारीस्कूलों में तो थोड़ी बहुत पढ़ाई हो रही है. लेकिन कॉलेज में कहीं भी क्लास नहीं चल रहे. ऐसे हालात में स्नातक की पढ़ाई की बात करना ही बेकार है. कोई भी कॉलेज यह दावा करे कि उनके यहां तीन चार क्लास भी हुआ है, तो यह झूठ ही होगा. क्योंकि क्लास किसी भी कॉलेज में नहीं हो रहा है.प्रियंका कुमारीपरीक्षा में कड़ाई होना बहुत अच्छी बात है. लेकिन पढ़ाई के बगैर कड़ाई करने से विद्यार्थी क्या करे. इसकी बात भी प्रशासन व कॉलेज प्रशासक को बतानी चाहिए. यदि कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो रही है तो इसके लिए विद्यार्थी दोषी है या शिक्षक. इसका फैसला कैसे होगा. यह लोगों को बताना होगा.सोनी कुमारीक्या कहते हैं कॉलेज प्रशासककॉलेज में जो भी शिक्षक हैं वे नियमित रूप से सुबह से शाम तक कॉलेज में रहते हैं. कदाचार के बल पर डिग्री लेने की होड़ के कारण पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह से समाप्त हो गया है. विद्यार्थी कॉलेज में आते ही नहीं है. ऐसे हालात में शिक्षक टेबुल बेंच को तो पढ़ा नहीं सकते. पढाई के लिए विद्यार्थियों को कॉलेज तक आना होगा. आरएम डब्लू कॉलेज में कई विषयों में दो तीन विद्यार्थी रहने पर भी क्लास चलाये जाते हैं. पढ़ाई के लिए वातावरण बनाने की जरूरत है. शिक्षकों की कमी है. इसे विश्वविद्यालय को दूर करना चाहिए. ताकि पढ़ाई के लिए सही रूप से शिक्षक उपलब्ध हो सके. डॉ गीता सिन्हा, प्रभारी प्राचार्या, आरएम डब्ल्यू कॉलेज
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परीक्षा में सख्ती पर परीक्षार्थी उठा रहे सवाल
परीक्षा में सख्ती पर परीक्षार्थी उठा रहे सवालकहा, कॉलेज में पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह से हो गया समाप्त, प्रशासन को पहले पढ़ाई के लिए करना चाहिए पहल कॉलेज प्रशासन के दावे, विद्यार्थी ही कैंपस में पढ़ाई के लिए नहीं आना चाहते फोटो-नवादा/5कैप्शन-छात्र और प्राचार्य प्रतिनिधि4नवादा(नगर)इंटर व मैट्रिक परीक्षा को कदाचारमुक्त कराने के बाद जिला […]
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