जर्जर स्थिति में बबरगंज ओपी
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थाना का जर्जर भवन. बबरगंज ओपी में बरामदे पर सोने को मजबूर हैं सिपाही
जर्जर स्थिति में बबरगंज ओपी पुलिस हमें सुरक्षा देती है. लेिकन पुलिस के जवान किस स्थिति में रहते हैं. यह बड़ा सवाल है. पुलिस जवान के रहने का ठिकाना तो बदतर है ही. साथ ही कई पुलिस थाना के भवन भी जर्जर हैं. पुलिस जवानों का क्या ऐसा ही बसेरा होना चाहिए. जिले के पुलिस […]
पुलिस हमें सुरक्षा देती है. लेिकन पुलिस के जवान किस स्थिति में रहते हैं. यह बड़ा सवाल है. पुलिस जवान के रहने का ठिकाना तो बदतर है ही. साथ ही कई पुलिस थाना के भवन भी जर्जर हैं. पुलिस जवानों का क्या ऐसा ही बसेरा होना चाहिए. जिले के पुलिस थाना भवन की स्थिित का प्रभात खबर ने लिया जायजा.
भागलपुर : बरामदे पर एक चौकी. बगल में कपड़े का एक बक्सा. चौकी के नीचे बरतन और चूल्हा. बारिश हो तो छींटें बिस्तर को गीला कर दे. लू के थपेड़ों से बचने के लिए बरामदे के चारो ओर कपड़ा बांध दिया, ताकि गरम हवा को कुछ हद तक रोका जा सके. तेज धूप में कंठ सूखे तो सबसे पहले दिमाग में यह आता है कि मोटर कहीं खराब तो नहीं. कुछ ऐसी ही जिंदगी जीने को मजबूर हैं बबरगंज ओपी के पुलिसकर्मी. इन कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए ड्यूटी करते हैं पुलिस के सिपाही से लेकर अधिकारी तक.
बस जी रहे हैं. बबरगंज ओपी में तैनात सिपाही अपनी परेशानियों को सुनाते हुए बस इतना ही कहते हैं कि बस किसी तरह जिंदगी जी रहे हैं. थाना प्रभारी के चैंबर से लेकर एक मात्र बैरक है जो एसआइ और एएसआइ के लिए है इसलिए उसमें सिपाहियों की एंट्री नहीं. ऐसे में एक ही उपाय बचता है वह है बरामदे पर अपना बसेरा बनाना. बरामदे पर ज्यादा परेशानी होने पर थाना परिसर में बने मंदिर में सोने चले जाते हैं पुलिसकर्मी. बबरगंज में होमगार्ड और बिहार पुलिस के कुल 16 सिपाही कार्यरत हैं. इनके अलावा तीन एएसआइ और एक थाना प्रभारी हैं. जगह कम होने की वजह से सिपाही अपने चौकी के पास ही खाना बनाते हैं. बरामदे पर ही खाना बनाया, खाया और सो गये. थाना प्रभारी के चैंबर में भी दो से ज्यादा लोगों के बैठने की जगह नहीं.
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