नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया जिसमें उन्होंने अयोध्या में विवादित स्थल पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का आग्रह किया था. न्यायालय ने स्वामी से कहा कि वह मामले में हस्तक्षेपकर्ता हैं तथा उनकी याचिका पर अन्य पक्षों के साथ सुनवाई की जाएगी.
Supreme Court refuses to entertain Subramanian Swamy's plea seeking urgent hearing of Ram Mandir-Babri Masjid dispute.
— ANI (@ANI) April 5, 2016
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘आप (स्वामी) महज एक पक्ष हैं और आपकी याचिका दूसरे असंतुष्ट पक्षों के साथ ही सुनी जाएगी.’ स्वामी ने पीठ के समक्ष मामला रखते हुए कहा कि इस विवादित स्थल पर जाने वाले श्रद्धालुओं को पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं. इस पीठ में न्यायाधीश यू यू ललित भी थे. इससे पहले शीर्ष अदालत ने स्वामी से कहा था कि वह अपना मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए रखें. शीर्ष अदालत ने पिछले साल केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार से कहा था कि वे ‘राम जन्मभूमि’ स्थल पर तीर्थयात्रियों के लिए मौजूदा परिदृश्य में व्यावहारिक बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर गौर करें.
न्यायालय ने कहा था, ‘‘कुछ कीजिए. यदि संभव हो तो स्थान की मरम्मत और आगंतुकों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कुछ कीजिए.’ इससे पहले न्यायालय ने केंद्र से कहा था कि वह तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं की मांग करने के लिए दायर स्वामी की याचिका पर जवाब दाखिल करे. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि भगवान राम के भक्त तीर्थयात्रियों को पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलतीं और उन्हें केंद्र एवं उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा किए गए अपर्याप्त प्रबंधों के कारण मुश्किल का सामना करना पडता है.
स्वामी ने कहा था कि शीर्ष अदालत की ओर से वर्ष 1996 में यथास्थिति बनाए रखने का जो आदेश जारी किया गया था, वह विवादित स्थल पर किसी संरचना के निर्माण को रोकने तक सीमित था. इस याचिका में उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि चूंकि लाखों हिंदू तीर्थयात्री अयोध्या में ‘राम जन्मभूमि’ के दर्शन करने और पूजा करने जाते हैं इसलिए वहां सुविधाओं में सुधार के लिए आदेश जारी किया जाना चाहिए.