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रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बावजूद बाजार 516 अंक टूटा

मुंबई :: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के ब्याज दरों में कटौती की घोषणा के बाद भी शेयर बाजार आज ढह गया. शेयर बाजार में आज जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 516 अंक टूटकर 25000 के नीचे 24,883 पर बंद हुआ. निफ्टी में भी जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली. निफ्टी 151 अंक गिरकर […]

मुंबई :: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के ब्याज दरों में कटौती की घोषणा के बाद भी शेयर बाजार आज ढह गया. शेयर बाजार में आज जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 516 अंक टूटकर 25000 के नीचे 24,883 पर बंद हुआ. निफ्टी में भी जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली. निफ्टी 151 अंक गिरकर 7, 603 पर बंद हुआ.

बैकिंग सहित सभी शेयरों में आज गिरावट हुई. सबसे ज्यादा गिरावट बैकिंग शेयरों में देखी गयी. बैकिंग शेयरों में तेज मुनाफावसूली देखी गयी. ओबीसी , केनरा बैंक के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखने को मिली. बिहार सरकार द्वारा शराब पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद शराब कंपनियों के शेयर 1 से 4 फीसदी तक टूट गये.

बाजार का दिन का हाल

रिजर्व बैंक ने आज ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है.कटौतीके बाद अब केंद्रीय बैंक की ब्याज दर 6.50 प्रतिशत हो गयीहै. इससे ग्राहकों को सस्से इएमआइ का लाभ मिलेगा. हालांकि ब्याज दरों में कटौती की खबर के बाद बैंकिंग शेयर जबरदस्त टूटे. बैंक निफ्टी अगले कुछ ही मिनटों में 300 प्वाइंट नीचे चला गया.वहीं, दिन के साढ़े बारह बजे के आसपास शेयर बाजार के दोनों अहम सूचकांक में 1.41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. सेंसेक्स जहां 357 अंक टूटे वहीं निफ्टी में 109 अंक की गिरावट आयी.रिजर्व बैंक ने सीआरआर को चार प्रतिशतरखनेकीबात कही है.आरबीआइने कहा कि वह आने वाली दिनों में भी नीतिगत नरमी का रुख बनाए रखेगा. आरबीआइ ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) के लिए दैनिक स्तर पर न्यूनतम 95 प्रतिशत कोष बनाए रखने की अनिवार्यता को घटाकर 90 प्रतिशत किया जो 16 अप्रैल से प्रभावी होगी.

आरबीआइ ने 2016-17 के लिए वृद्धि का अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआइ का अनुमान है कि सातवें वेतन आयोग से दो साल में मुद्रास्फीति पर 1-1.5 प्रतिशत असर होगा. वित्त वर्ष 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के आस पास रहेगी.

आरबीआइ ने कस्टोडियन (अभिरक्षक) बैंक, जैसे अलग-अलग तरह की बैंकिंग के लाइसेंस देने का संकेत दिया जोबड़े और दीर्घकालिककर्ज देने का काम करते हैं.

आरबीआइ ने नकदी की सीमांत अतिरिक्त सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज 0.75 प्रतिशत घटाई और रिवर्स रेपो रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढोतरी की ताकि कॉल मनी दर का रेपो दर से बेहतर तालमेल हो सके. इससे एमएफएस पर ब्याज दर 7.0 प्रतिशत और रिवर्स रैपो दर 6.0 प्रतिशत हो गयी है. बैंक दर भी एमएफएस के अनुरूप 7.0 प्रतिशत कर दी गयी है.

रेट कट अच्छेमानसूनकेरहने व महंगाई दरकेकाबूमें रहनेकेअनुमान के आधार पर किया गया है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक गवर्नर ने यह कटौती राजकोषीय घाटा के 3.50 प्रतिशत पर रखने के सरकार के संकल्प के आधार पर किया है.

कल ही वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि महंगे कर्ज के कारण उद्योग जगत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. उद्योग जगत भी 25 से 50 बेसिस प्वाइंट रेट कट की उम्मीद जता रहा था. पिछले साल रिजर्व बैंक ने अलग-अलग चरण में 100 बेसिस प्वाइंट रेट कट किया था.बैंकों के खराब कर्ज के बारे रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों के एनपीए को दुरूस्त किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मानसून बेहतर रहने और महंगाई दरों में कमी आने से ब्याज दरों में आगे भी कटौती की जा सकती है.

रेपो रेट में कटौती की घोषणा सस्ते हो सकते है कर्ज

ब्याज दरों में कटौती की घोषणा से आम आदमी को राहत मिल सकती है. आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.25 फीसदी के बाद अगर होम लोन पर 0.25 फीसदी कटौती कर रहे है तो 25 से 30 लाख के लोन पर सलाना 4000 तक की बचत हो सकती है. इस तरह कार लोन भी सस्ता हो सकता है.

आरबीआई ने कस्टोडियन (अभिरक्षक) बैंक, जैसे अलग अलग तरह की बैंकिंग के लाइसेंस देने का संकेत दिया जो बडे और दीर्घकालिक ऋण देने का काम करते हैं. आरबीआई का अनुमान सातवें वेतन आयोग से दो साल में मुद्रास्फीति पर 1-1.5 प्रतिशत असर होगा, वित्त वर्ष 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के आस पास रहे है.

आरबीआई ने 2016-17 के लिए वृद्धि का अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा. रघुराम राजन ने कहा कि वह आने वाली दिनों में भी नीतिगत नरमी का रख बनाए रखेगा.रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने कहा कि हम पनामा दस्तावेज पर जांच दल में शामिल है जो यह तय करेगा कि क्या वैधानिक है और क्या नहीं.

रेट कटकेकुछ प्रमुख कारण:

1.बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटा का ख्याल रखा है. वैश्विक मंदी को देखते हुए सरकारने जरूरत से ज्यादा खर्च नहीं करने का लक्ष्य रखा है. इस स्थिति में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकती है.
2. फरवरी में रिटेल महंगाई का दर 5.18 फीसदी पर रही थी. आरबीआइ के टारगेट 5.37 फीसदी से कम है. ब्याज दरों में कटौती से महंगाई बढ़ने की संभावना कम है.
3. पिछले कई महीनों से बैकिंग डिमांड लो रही है. इससे निवेश में कमी का खतरा बन गयाहै और रोजगार की सृजन में दिक्कत हो सकती है. ऐसी परिस्थिति में सरकार निवेश को बढ़ाने के लिए रेट में कटौती कर सकती है.
4.स्माल सेविंग रेट में कटौती कर सरकार ने भी संकेत दे दिये की लोन सस्ता करने की जरूरत है ताकि लोग बिजनेस करने के लिए सस्ते दरों में कर्ज ले सकें.

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