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जीरो आवर से पहले हो गये शराब दुकानों के स्टॉक निल
शराबबंदी. शराब जब्त कर लाने गये वाहन खाली लौटे जीरो आवर से पहले छापामारी के लिए निकले दस्तों को शराब दुकानों में कुछ नहीं मिला. अधिकारी खाली हाथ वापस लौटे. जिले के सभी 42 लाइसेंसी शराब दुकानों को सील करने के नाम पर सिर्फ औपचारिक खानापूरी की गयी. बांका : शराबबंदी के लिए निर्धारित जीरो […]
शराबबंदी. शराब जब्त कर लाने गये वाहन खाली लौटे
जीरो आवर से पहले छापामारी के लिए निकले दस्तों को शराब दुकानों में कुछ नहीं मिला. अधिकारी खाली हाथ वापस लौटे. जिले के सभी 42 लाइसेंसी शराब दुकानों को सील करने के नाम पर सिर्फ औपचारिक खानापूरी की गयी.
बांका : शराबबंदी के लिए निर्धारित जीरो आवर से पूर्व ही जिले में ‘आंख बंद और डिब्बा गायब’ वाली बात चरितार्थ हो गयी. प्रशासन की तमाम चौकसी और तैयारियों का दावा धरा रह गया. शराब की दुकानों में जीरो आवर से पूर्व ही स्टॉक निल कर दिये गये. इन दुकानों को सील करने निकले अधिकारियों को कहीं कुछ नहीं मिला. उन्हें सभी दुकानें खाली मिलीं.
जब्त शराब को लाने उनके साथ गये माल वाहन खाली लौट गये. दुकानों को सील करने की औपचारिकता पूरी कर दी गयी. दुकानों को सील करने निकले कतिपय पदाधिकारियों ने दबी जुबान से स्वीकार भी किया कि एकाएक शराब की बिक्री इस हद तक नहीं पहुंच सकती कि दुकानें खाली हो जायें. कहीं न कहीं, कुछ तो गड़बड़ है. इस आशंकित गड़बड़ी का खुलासा भी 12 घंटे के अंदर ही हो गया. शराबबंदी को लेकर पटना में बनाये गये केंद्रीय मॉनीटरिंग सह कंट्रोल रूम को किसी ने गुप्त ठिकाने से शराब बेचे जाने की सूचना दी.
केंद्रीय कंट्रोल रूम ने बांका के नोडल पदाधिकारी को अविलंब इस पर कार्रवाई का निर्देश दिया. कार्रवाई भी अविलंब की गयी. जिले के पंजवारा क्षेत्र में अवैध रूप से शराब बेचते दो व्यक्तियों को धर दबोचा गया. यह जिले में अनुज्ञापित शराब दुकानों के 31 मार्च की रात 10 बजे से पूर्व एकाएक खाली हो जाने की वजहों का एक नमूना मात्र है.
प्रशासन ने दोहराया पूर्ण शराबबंदी का संकल्प : जिले में शराब के अवैध स्टॉक मौजूद हैं, इसे प्रकारांतर से प्रशासन तंत्र के कतिपय अधिकारी भी मानते हैं. लेकिन इन अधिकारियों का यह भी दावा है कि जैसे भी हो ये शराब बिकने नहीं दी जायेंगी. इन्हें ढूंढ़ निकाला जायेगा. जिले में शराबबंदी की राज्य सरकार की नीति अक्षरश: लागू होगी. वरीय उप समाहर्ता मद्य निषेध नीरज कुमार ने बताया कि प्रशासन तंत्र अपना काम कर रहा है. अवैध शराब कारोबारियों को तू डाल- डाल तो मैं पात- पात की तर्ज पर बख्शा नहीं जायेगा.
अवैध शराब के स्टॉक को ढूंढ़ने के लिए गश्ती और छापामारी अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि जहां कहीं भी अवैध शराब की होर्डिंग होगी, उन्हें ढूंढ़ निकाला जायेगा. जिले में शराबबंदी के लिए बने कानूनों के साथ कोई समझौता नहीं होने दिया जायेगा.
शराबबंदी से मिली दिलों को ठंडक : शहर के कचहरी रोड पर पुरानी अस्पताल के सामने की शराब दुकान के आसपास चखना, ग्लास व ठंडे पानी का व्यवसाय ठंडा पड़ गया है. लेकिन साथ ही इससे आसपास के दुकानदारों और इनमें आने वाले ग्राहकों खासकर महिलाओं के भी दिलों को इससे ठंडक पहुंची है. एक स्थानीय रेडिमेड दुकानदार ने कहा कि उनके तो कारोबार इस शराब दुकान की वजह से बंद होने पर थे. अब शराबबंदी के पहले ही दिन उनकी दुकान पर रौनक लौट आयी है.
शहीद भगत सिंह स्मारक और जिला परिषद मार्केट को भी शराबियों से मुक्ति मिलने की खुशी आसपास देखी गयी. समुखिया मोड़ स्थित कुछ नाश्ता एवं शीतल पेय दुकानदारों ने कहा कि शराब दुकान की वजह से उन्हें दो पैसे अधिक की कमाई तो हो जाती थी, लेकिन इसके एवज में जो जिल्लत उन्हें सहनी पड़ती थी उसका कोई पारावार नहीं. अब यह सब नहीं होगा इस बात की खुशी उन्हें है.
तालाबंदी के बाद पसरा रहा सन्नाटा
शराबबंदी के बाद पहले दिन बांका जिले की सभी शराब दुकानें बंद रहीं. जहां ये दुकानें आबादी और व्यावसायिक भीड़भाड़ वाले इलाके में थीं, वहां तो माहौल में ज्यादा फर्क नहीं आया.
लेकिन जहां शराब की दुकानें अकेले में थीं, वहां शुक्रवार को सन्नाटा पसरा रहा है. लोगों की आवाजाही नहीं होने से माहौल शांत रहा. दुकानों के आसपास का क्षेत्र रोज फूटने वाली शराब की बोतलों एवं फेंक कर बिखरा दिये जाने वाले चखना के दोनें तथा प्लास्टिक के ग्लासों के अभिशाप से महफूज रहीं. शांतिप्रिय लोगों ने राहत की सांस ली. उन्होंने सुकून महसूस किया.
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