"….बॉथम पैवेलियन एंड से गेंदबाजी का जिम्मा संभालेंगे. सामना करेंगे गावसकर. फील्डिंग की जमावट.. तीन स्लिप्स, एक गली, कवर, मेड ओफ ओफ साइड में और वाइडिश मेड आन, मिड विकेट और फारवर्ड शार्ट लेग आन साइड में. बॉथम ने दौड़ना शुरु किया…अंपायर को पार किया दायें हाथ से ओवर दि विकेट ये गेंद आफ स्टंप के थोड़ी सी बाहर. गेंद के साथ छेड़खानी करने का प्रयास किया गावसकर ने. भाग्यशाली रहे कि गेंद ने उनके बल्ले का बाहरी किनारा नहीं लिया अन्यथा परिणाम गंभीर हो सकता था. तारीफ करनी होगी बॉथम की कि जिन्होंने गेंद की लंबाई और दिशा पर अच्छा नियंत्रण रखा है और काफी परेशानी में डाल रखा है भारतीय बल्लेबाजों को.’’
इन शब्दों को सुनकर आपको किसी की याद आयी. जी हां, यह क्रिकेट के हिंदी कमेंटेटर सुशील दोषी के बोल हैं. यह कमेंटरी उन दिनों की है जब टीवी का नहीं रेडियो का जमाना था. लेकिन सुशील दोषी के बाद हिंदी कमेंटरी बिलकुल मर सी गयी. खासकर तब जब टीवी का युग आ गया. लेकिन अब एक बार फिर ऐसा महसूस हो रहा है हिंदी की कमेंटरी में नयी जान फूंकने के लिए वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान और शोएब अख्तर जैसे कमेंटेटर आ गये हैं.
हिंदी की कमेंटरी को मिली नयी शुरुआत
टीवी युग के आरंभ के बाद क्रिकेट मैच के प्रसारण अधिकार ज्यादातर निजी टीवी चैनलों को मिलने लगे. जिनपर अंग्रेजी कमेंटेटरों का बोलबाला था. हिंदी में अगर कमेंटरी होती थी, तो वह स्तरीय नहीं होती थी, लेकिन फिर हिंदी दर्शकों को ध्यान में रखते हुए हिंदी कमेंटरी को प्रमुखता दी गयी और नवजोत सिंह सिद्धू और कपिल देव जैसे कमेंटेटरों ने इसकी शुरुआत की. धीरे-धीरे हिंदी कमेंटरी लोगों की पसंद बन गयी और टी20 विश्वकप में तो हिंदी कमेंटरी लोगों की पहली पसंद हो गयी. वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, शोएब अख्तर, आकाश चोपड़ा ने हिंदी कमेंटरी को चर्चित बना दिया. और तो और वीवी एस लक्ष्णम भी हिंदी में कमेंटरी करने लगे. सोने पर सुहागा तब हुआ जब बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान भी हिंदी कमेंटरी में कूद पड़े.
भारतीय दर्शकों के कारण बढ़ी है हिंदी कमेंटरी की मांग
ज्यादातर भारतीय दर्शक अपनी भाषा में क्रिकेट की कमेंटरी सुनना चाहते हैं, यही कारण है कि हर टीवी चैनल हिंदी में क्रिकेट मैच का विश्लेषण दिखाता है. विश्ल्रेषण के लिए आने वाले खिलाड़ी फिर कमेंटरी का भी हिस्सा बनने लगे और हिंदी कमेंटरी का युग आ गया.
अंग्रेजी कमेंटेटर भी कर रहे हैं हिंदी का रुख
हालांकि कुछ वर्ष पूर्व तक अंग्रेजी कमेंटेटर की ही क्रिकेट जगत में बादशाहत थी, लेकिन जब से हिंदी की डिमांड बढ़ी है, अंग्रेजी कमेंटेटर भी हिंदी की ओर अग्रसर हुए है. जिनमें सुनील गावस्कर सर्वप्रमुख हैं.