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शहीद का शव देख पूरा गांव रोया
मर्माहत. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शहीद हुआ गुमला का बेटा प्रदीप, शव पहुंचा शहीद जवान प्रदीप तिर्की सीआरपीएफ-230 बटालियन का था. बसिया प्रखंड के रायकेरा कच्चटोली उसका पैतृक गांव है. गांव के लोगों को रात नौ बजे प्रदीप के शहीद होने की सूचना मिली. सूचना के बाद से बसिया में शोक की लहर है. बसिया […]
मर्माहत. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शहीद हुआ गुमला का बेटा प्रदीप, शव पहुंचा
शहीद जवान प्रदीप तिर्की सीआरपीएफ-230 बटालियन का था. बसिया प्रखंड के रायकेरा कच्चटोली उसका पैतृक गांव है. गांव के लोगों को रात नौ बजे प्रदीप के शहीद होने की सूचना मिली. सूचना के बाद से बसिया में शोक की लहर है.
बसिया से लौट कर दुर्जय पासवान
छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा में शहीद हुए बसिया प्रखंड के प्रदीप तिर्की की बूढ़ी मां विपैत देवी को अपने बेटे पर गर्व है. मां विपैत ने रोते हुए कहा : मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है.
20 साल तक सेना में रहा. मेरा बेटा निडर होकर काम किया. नक्सली तो कायर थे, जो छिप कर हमला किये. उन्होंने कहा : मुझे बुधवार की रात नौ बजे मेरे बेटे के शहीद होने की सूचना मिली. रांची में भतीजा रंजन तिर्की शिक्षक है. उसने गांव के शिक्षक अनिल सोरेन को फोन कर बताया कि दंतेवाड़ा में प्रदीप शहीद हो गया. जब से प्रदीप के शहीद होने की सूचना मिली, घर का कोई सदस्य नहीं सोया. यहां बता दें कि दंतेवाड़ा के मैलावाड़ा में नक्सलियों के हमले में सात सीआरपीएफ-230 बटालियन के जवान शहीद हो गये हैं. इसमें गुमला जिला अंतर्गत बसिया प्रखंड के रायकेरा कच्चटोली गांव का प्रदीप तिर्की भी है.
बेटे की शहादत पर जुटे लोग
गांव का बेटा शहीद हो गया. यह सूचना गुरुवार की सुबह को कच्चटोली गांव के लोगों को हुई. गांव में 14 परिवार निवास करते हैं. प्रदीप के शहीद होने की खबर पर गांव के कई लोग उसके घर पहुंचे.
शहीद के परिजनों का ढाढ़स बंधाया. गांव की मारथा सोरेन, उसरुला बाड़ा, मेरी सोरेन ने कहा : प्रदीप गांव का सबसे होनहार बेटा था. बचपन से उसे सेना में जाने का शौक था. 20 वर्ष पहले वह सेना में गया था. तब से वह देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था. प्रदीप के शहीद होने पर गांव के लोगों को उसपर गर्व है.
शहीद के घर में चूल्हा नहीं जला
रिश्तेदार सुरमइत तिर्की, गंदौर तिर्की, लोहराईन तिर्की, विक्टोरिया तिर्की व निर्मला तिर्की का रो रोकर बुरा हाल है. प्रभात खबर प्रतिनिधि जब शहीद का घर पहुंचा, तो घर में सभी लोग एक स्थान पर बैठे हुए थे. परिजन रो रहे थे. रिश्तेदारों ने कहा कि कल रात को ही प्रदीप के शहीद होने की खबर मिली. सुबह को घर का चूल्हा भी नहीं जला. बच्चे दूसरे के घर में जाकर खाना खाये. पूरे गांव में शोक की लहर है.
इस प्रकार घटी थी घटना
छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा स्थित मैलावाड़ा में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर सीआरपीएफ की गाड़ी को उड़ा दिया. गाड़ी से सीआरपीएफ के जवान गुजर रहे थे, तभी नक्सलियों ने बम विस्फोट किया, जिससे गाड़ी के परखच्चे उड़ गये. सात जवानों की मौत हो गयी.
इसमें कई जवानों के चिथड़े उड़ गये थे. कुछ जवान बचे थे, जिन्हें नक्सलियों ने गोलियों से भून दिया. हथियार भी लूट कर नक्सली ले गये. बारूदी विस्फोट से सड़क पर बड़ा गड्ढा बन गया था. मृतकों में विजय राज, प्रदीप तिर्की, देवेंद्र चौरसिया, रूप नारायण दास, रंजन दास, एसएनयू सिंह व मृत्युंजय मुखर्जी शामिल हैं. सीआरपीएफ अधिकारियों के अनुसार, सभी जवान एक कैंप से दूसरे कैंप जा रहे थे, तभी घटना घटी.
पिता के बगल में बेटे को दफनाया
रायकेरा गांव स्थित कब्र में शहीद प्रदीप तिर्की के शव को दफनाया गया. पिता घांसी उरांव को जहां दफनाया गया है, उसी के बगल में शहीद बेटे प्रदीप को भी दफनाया गया. शहीद का शव गांव पहुंचने से पहले गांव के लोग कब्र खोद कर तैयार रखे हुए थे. गांव के रोशन तिर्की, आलोक बाड़ा, प्रफुल्ल बाड़ा, लाजरूस बाड़ा, गंदुर बाड़ा, हेरमन कुल्लू, राजेश तिर्की, विजय कुजूर, जोन तिर्की व ठुठा तिर्की ने कब्र खोदा. इन लोगों ने कहा कि पूर्वजों की जमीन पर ही पिता के बगल में शहीद के बेटे को दफनाया गया.
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